- 8 दिस॰ 2024
- के द्वारा प्रकाशित किया गया Daksh Bhargava
- अंतरराष्ट्रीय
फिल्म उद्योग का विरोध
कोरियाई फिल्म उद्योग ने जिस तरह से राष्ट्रपति यून सुक-योल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, वह खुद में एक बड़ा मुद्दा बन गया है। यह आंदोलन केवल राजनीतिक नहीं है, बल्कि कोरिया के नागरिकों की वेदना और फिल्म उद्योग की चिंता का प्रतीक है। यून सुक-योल के खिलाफ दिए गए बयान में 2,518 व्यक्तियों के हस्ताक्षर शामिल हैं, जो साफ दर्शाता है कि राष्ट्रपति की कारगुजारी से लोग नाराज हैं। इस बयान में विशेष रूप से मार्शल लॉ की घोषणा का जिक्र किया गया है, जिसे अवैध और असंवैधानिक करार दिया गया है।
प्रमुख हस्ताक्षरकर्ता और उनका आग्रह
इस बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में प्रसिद्ध निर्देशक बोंग जुन-हो और प्रमुख अभिनेता जैसे मून सो-री, कांग डोंग-वोन, किम गो-योन शामिल हैं। ये हस्ताक्षरकर्ता राष्ट्रपति के तख्तापलट और सरकारी की नीतियों के खिलाफ जोरदार विरोध प्रकट करते हैं। उनका मानना है कि राष्ट्रपति के अधिनायकवादी तरीकों से लोकतंत्र और देश की संस्कृति को खतरा है। उन्होंने न केवल राष्ट्रपति के अविलंब निलंबन की मांग की है, बल्कि उन्हें महाभियोग और गिरफ्तारी के माध्यम से दंडित करने की भी वकालत की है।
कोरिया की अंतरराष्ट्रीय छवि पर प्रभाव
फिल्म निर्माताओं द्वारा उठाया गया यह कदम कोरिया की गिरती हुई अंतरराष्ट्रीय छवि को लेकर चिंता भी प्रकट करता है। विदेशी मीडिया में कोरिया की वैश्विक स्थिति कमजोर होती नजर आ रही है, और कई देशों में कोरियाई नागरिकों के साथ मुद्रा विनिमय में कठिनाइयां हो रही हैं। यह स्थिति न केवल आर्थिक, बल्कि पर्यटन क्षेत्रों पर भी असर डाल रही है। कई विदेशी निवेशक और पर्यटक अब कोरिया आने से झिझक रहे हैं।
सरकारी नीतियों और संस्कृति पर प्रभाव
फिल्म निर्माताओं के वायरस का एक बड़ा हिस्सा सरकार की सांस्कृतिक नीतियों से जुड़ा हुआ है। उनका कहना है कि कोरियाई फिल्म काउंसिल और संस्कृति मंत्रालय के बजट को भी राष्ट्रपति की एकतरफा फैसलों ने हानि पहुंचाई है। इसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए विनाशकारी बताते हुए, उन पर आरोप लगाया गया है कि वे केवल अपनी राजनीतिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए काम कर रहे हैं।
देश में अस्थिरता और संकट
फिल्म निर्माताओं ने देश में स्थिति को लेकर गहरी चिंता प्रकट की है। उन्होंने इसे सरकारी तंत्र के टूटने का संकेत माना है। उनका कहना है कि यदि वर्तमान स्थिति नहीं सुधरती है, तो इससे कोरिया के अस्तित्व पर खतरा मंडरा सकता है। जो कदम वीडियो कलाकार उठा रहे हैं, वह समाज के विभिन्न वर्गों में बदलाव की मांग का भी हिस्सा है।
अंत में, कोरियाई फिल्म उद्योग के इस कदम ने पूरे दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। दक्षिण कोरिया की लोकतांत्रिक स्थिति और सांस्कृतिक छवि पर आई इस संकट के समय में यह एक चेतावनी भी है कि हम कैसे बदलाव की तरफ जा सकते हैं।
एक टिप्पणी करना