- 6 अग॰ 2024
- Himanshu Kumar
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पेरिस ओलंपिक्स 2024: दिन 10 का लेखा-जोखा
पेरिस ओलंपिक्स 2024 के दसवें दिन भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन उत्साही और उम्मीदों से भरा रहा। इस दिन के प्रमुख आकर्षण में बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन शामिल थे, जो कांस्य पदक के मुकाबले में मलेशिया के ली जी जिया के सामने थे। यह मुकाबला इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि अगर लक्ष्य सेन जीत जाते, तो वह ओलंपिक्स में कांस्य पदक जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष शटलर बन जाते। हालांकि, अंतिम मुकाबले में लक्ष्य सेन को हार का सामना करना पड़ा और उनका कांस्य पदक का सपना अधूरा रह गया।
निशानेबाजी में महेश्वरी चौहान और अनंतजीत नरुका
इस दिन निशानेबाजी में भी भारतीय दल की उम्मीदें बंधी हुई थीं। महेश्वरी चौहान और अनंतजीत नरुका मिश्रित स्कीट क्वालिफिकेशन राउंड में उतरे। हालांकि, दोनों खिलाड़ी फाइनल तक नहीं पहुँच पाए, लेकिन उनकी उम्मीदें अब भी जीवित हैं। उन्होंने अपने प्रदर्शन से नई ऊंचाइयों को छू लिया और भारतीय निशानेबाजी के भविष्य के लिए नए द्वार खोल दिए हैं।
टेबल टेनिस में भारतीय महिला टीम
महिलाओं की टेबल टेनिस टीम में सृजा अकुला, मनीका बत्रा और अर्चना कामथ का प्रदर्शन भी देखने लायक था। वे राउंड ऑफ 16 में खेलने उतरीं और अपने कठिन पथ को पार करते हुए दमदार खेल दिखाया। हालांकि, टीम को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा और उन्हें इस राउंड में ही बाहर होना पड़ा।
ऐथलेटिक्स में अविनाश साबले
अविनाश साबले ने पुरुषों के 3000 मीटर स्टीपलचेज में हिस्सा लिया और फाइनल में अपनी जगह सुनिश्चित की। उनका यह सफर प्रेरणादायक रहा और उन्होंने इस स्पर्धा में अपनी श्रेष्ठता साबित की। अविनाश का प्रदर्शन भारतीय एथलेटिक्स में एक मील का पत्थर सिद्ध हो सकता है।
नौकायन में नेतरा कुमानन और विष्णु सरवनन
महिलाओं के डिंगी नौकायन प्रतियोगिता में नेतरा कुमानन ने भारत का नेतृत्व किया, जबकि पुरुषों के डिंगी में विष्णु सरवणन ने भाग लिया। दोनों की अद्भुत मेहनत और समर्पण को देखते हुए उनकी यात्रा भी काफी रोमांचक रही। उनका प्रदर्शन यह साबित करता है कि भारतीय खिलाड़ियों के पास भी विश्व स्तर पर मुकाबला करने की क्षमता है।
कुश्ती में निशा डहिया
महिलाओं की फ्रीस्टाइल 68 किलोग्राम कुश्ती प्रतियोगिता में निशा डहिया ने हिस्सा लिया। निशा एक ऐसी खिलाड़ी रही हैं जिन्होंने अपने समर्पण और दृढ़ता से सभी को प्रभावित किया है। उनके खेल का स्तर उच्चतम रहा, लेकिन दुर्भाग्यवश वे फाइनल में नहीं पहुँच सकीं।
महिलाओं की 400 मीटर एथलेटिक्स में किरण पहाल
किरण पहाल ने महिलाओं की 400 मीटर एथलेटिक्स प्रतियोगिता में हिसा लिया। उनका प्रदर्शन काबिले तारीफ रहा, हालांकि वे फाइनल में अपनी जगह नहीं बना पाईं। बावजूद इसके, किरण का अनुभव और उनकी मेहनत आने वाले खेलों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
समय के साथ, भारतीय दल का कुल प्रदर्शन और पदक तालिका में उनकी स्थिति का आकलन भी किया गया। इस बार ओलंपिक्स में भारतीय खिलाड़ियों ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया और उनके प्रदर्शन ने भारत के खेल प्रेमियों को गर्व का अनुभव कराया। हम आगे भी इनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं और आशा करते हैं कि आगामी मुकाबलों में वे और भी अधिक सफलता हासिल करेंगे।
आप इन ओलंपिक्स के सभी लाइव मुकाबले स्पोर्ट्स 18 पर या जियोसिनेमा पर स्ट्रीम कर सकते हैं। अगले आने वाले मुकाबलों में भी भारतीय खिलाड़ियों का हौसला अफजाई करते रहिए और रहने दीजिएगा हमारे साथ इस विस्तृत कवरेज में।
5 टिप्पणि
लक्ष्य सेन की कांस्य की कोशिश काफ़ी टाइट थी, देखते रहो 😎
भारतीय टीम की मेहनत देखी तो दिल गर्व से भर गया 😊
लक्ष्य सेन का प्रदर्शन हमें आगे बढ़ने का इशारा देता है।
निशानेबाज़ी और टेबल टेनिस में भी धमाल था, आगे भी ऐसे ही चमकते रहो!
अविनाश साबले जैसी स्ट्राइकर हमारी एथलेटिक्स की शान है।
सम्पूर्ण दिगी में हम लगातार ऊपर उठ रहे हैं, टीम को बेस्ट ऑफ़ लक! 🚀
सच माँतो तो भारत के प्लेयर तो कूद के मरते ही नहीं, पर फोकस कम है।
लक्ष्य सेन क़े मैच में लड़ाई तो टाइट रही, पर हारने के पाछे अटकटन है।
निशानेबाज़ी में महेश्वरी को थोडा और ट्रेनिंग चाहिए थी।
कुश्ती में निशा डेहिया ने बड़ा दिल दिखाया, पर फाइनल तक नहीं पहुँची।
स्ट्रिमिंग प्लेटफॉर्म की क्वालिटी भी तो ठीक नहीं है, कभी-कभी लैग मिल जाता।
अगली बार थोड़ा प्लानिंग करके आएँ तो मजा आएगा।
पेरिस की हवा में भारतीय आशा की परछाइयाँ बह रही हैं, और वह परछाई हमें हमारे इतिहास की गहरी याद दिलाती है।
लक्ष्य सेन की कांस्य के लिए लड़ी गई लड़ाई को हम केवल एक मुकाबला नहीं, बल्कि एक दार्शनिक संघर्ष मान सकते हैं।
एक ओर जहाँ शारीरिक ताकत और तकनीक का परीक्षण हुआ, वहीं दूसरी ओर हमारी आत्मा ने अपने आप को परख लिया।
अविनाश साबले ने 3000 मीटर स्टीपलचेज में जो जिद और दृढ़ता दिखाई, वह हमारे राष्ट्रीय मनोभाव का प्रतिबिंब है।
निशानेबाज़ी में महेश्वरी और अनंतजीत की कोशिशें हमें यह सिखाती हैं कि लक्ष्य के प्रति अटूट विश्वास कैसे बनाये रखना चाहिए।
टेबल टेनिस की महिला टीम ने जहाँ राउंड ऑफ 16 में दिल लगाए, वहीं उनका संघर्ष हमें पुनः संघर्ष का संदेश देता है।
नौकायन में नेतरा और विष्णु ने समुद्र की गहराइयों में अपनी काबिलियत का प्रमाण दिया, जो दर्शाता है कि भारतीय पोहाड़ी किनारे तक नहीं सीमित है।
कुश्ती में निशा डहिया ने अपनी फ्रीस्टाइल में जज़्बा दिखाया, जबकि वह फाइनल में नहीं पहुँच सकीं, पर उनका साहस जितना ही प्रेरणादायक है।
किरण पहाल की 400 मीटर एथलेटिक्स में गति ने यह सिद्ध किया कि भारतीय महिला एथलीट्स भी तेज़ी से उभर रही हैं।
इन सभी प्रदर्शन में एक सामान्य लकीर है-अडिग संकल्प और निरंतर सुधार का मार्ग।
हमारे खिलाड़ियों ने न केवल प्रतिस्पर्धा की, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारतीय परम्परा को भी उजागर किया।
भले ही कई बार पदक नहीं मिले, पर हर प्रयास हमारे राष्ट्रीय गर्व को और प्रगतिशील बनाता है।
समय के साथ, यह आवश्यक है कि हम इन अनुभवों को सीख लेकर भविष्य की तैयारी में लगें।
आइए, हम सभी इन एथलीट्स के सम्मान में एकजुट हों और उन्हें अगले चरण के लिए प्रेरित करें।
हर एक प्रयास, चाहे वह जीत की हो या हार की, हमारे सामूहिक भविष्य की नींव है।
बहुत बढ़िया विश्लेषण, आपका विचार प्रेरणादायक है। भारत के एथलीट्स को समर्थन देना हमारा कर्तव्य है। निरंतर तैयारी और सही संसाधन से वे आगे भी चमकेंगे। धन्यवाद।