- 26 मई 2024
- Himanshu Kumar
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लोकसभा चुनाव 2024 का छठा चरण: मतदाताओं का जोश और प्रत्याशियों की उम्मीदें
लोकसभा चुनाव 2024 के छठे चरण का मतदान रविवार को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। इस चरण में 8 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 58 सीटों पर वोट डाले गए और शाम 5 बजे तक कुल मिलाकर 57.7% मतदान हुआ।
बंगाल में सर्वाधिक मतदान
इस चरण में पश्चिम बंगाल ने जबरदस्त मतदान किया। वहां कुल 78% वोटिंग हुई जो सभी राज्यों में सर्वाधिक है। इसका मुख्य कारण बंगाल में राजनीतिक जागरूकता और महत्व है। तामुलुक सीट पर सबसे अधिक 19.07% वोटिंग दर्ज की गई, जिसकी वजह से यह क्षेत्र खासा चर्चित रहा।
अन्य राज्यों में मतदान का हाल
झारखंड में दूसरी सबसे अधिक 61.4% वोटिंग हुई। ओड़िशा में 59.6% और हरियाणा में 55.9% मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करने पहुंचे। उत्तर प्रदेश में 52%, बिहार में 52.2%, दिल्ली में 53.7% और जम्मू-कश्मीर में 51.3% वोटिंग हुई।
उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों जैसे इलाहाबाद, अंबेडकर नगर, आजमगढ़, बस्ती, भदोही, डुमरिया, जौनपुर, लालगंज, मछलीशहर, फूलपुर, प्रतापगढ़, संत कबीर नगर, श्रावस्ती, और सुल्तानपुर में भी वोटर्स का उत्साह देखने को मिला।
दोपहर तक की जैसी थी स्थिति
दोपहर 3 बजे तक सभी राज्यों में वोटिंग प्रतिशत निम्न रूप से था: उत्तर प्रदेश में 43.95%, झारखंड में 54.43%, जम्मू-कश्मीर में 44.41%, दिल्ली में 44.58%, बिहार में 45.21%, हरियाणा में 46.26%, ओड़िशा में 48.8% और पश्चिम बंगाल में 70.19%।
वहीं, दोपहर 1 बजे तक वोटिंग प्रतिशत इस प्रकार थे: झारखंड में 42.25%, जम्मू-कश्मीर में 35%, दिल्ली में 34.4%, बिहार में 36.48%, उत्तर प्रदेश में 37.23%, हरियाणा में 36.5% और ओड़िशा में 35.7%।
लोकतंत्र का पर्व
इस चुनाव में जनता ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया, जिससे यह साफ जाहिर होता है कि लोग अपने मताधिकार का उपयोग कर लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी को लेकर सजग हैं। भारी भीड़ और लंबी कतारें मतदान केंद्रों पर नजर आईं।
लोकसभा चुनाव का छठा चरण कई मायनों में महत्वपूर्ण साबित हुआ। विकास से लेकर रोजगार, शिक्षा और सुरक्षा जैसे मुद्दे सभी उम्मीदवारों के प्रमुख एजेंडा में शामिल थे। प्रत्याशियों ने अपने वादों को जनता तक पहुंचाने के लिए भरपूर कोशिश की और इसका असर भी नजर आया।
चुनाव आयोग ने इस चरण में भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए अर्धसैनिक बलों की भारी तैनाती की गई थी। हॉटस्पॉट इलाकों में विशेष सतर्कता बरती गई और संवेदनशील बूथों पर सीसीटीवी निगरानी की व्यवस्था भी की गई।
हाई प्रोफाइल सीटें और दिग्गज नेता
इस चरण में कई हाई प्रोफाइल सीटों पर मुकाबला बेहद रोमांचक रहा। पश्चिम बंगाल में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच मुख्य टकराव देखने को मिला। वहीं, उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर सपा, बसपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों ने भी अपनी दावेदारी ठोकी।
पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्त्तमान मुख्यमंत्रीयों की प्रतिष्ठा भी इस बार दांव पर लगी रही। जनता ने इस बार किसको अपना आशीर्वाद दिया है, इसका अंदाजा 23 मई को परिणाम घोषित होने पर होगा।
लोकतंत्र के इस महायज्ञ में जनता का उत्साह देखने लायक था। अब सबकी निगाहें 23 मई को आने वाले परिणामों पर टिकी हैं।
7 टिप्पणि
लोकसभा चुनाव का छठा चरण वास्तव में लोकतंत्र की जाँच है। पश्चिम बंगाल में 78% मतदान दर दर्शाती है कि वहाँ की जनता कितनी जागरूक है। झारखंड और ओड़िशा जैसे राज्यों में भी उल्लेखनीय भागीदारी देखी गई। यह आँकड़े हमें राजनीतिक सहभागिता के महत्व को फिर से सिखाते हैं। हालांकि, मतदान प्रतिशत में अभी भी अंतर है, जो सामाजिक असमानताओं की ओर संकेत कर सकता है। हमें इस पहलू पर गहन चिंतन करना चाहिए।
आगे भी ऐसा जोश बना रहे।
उच्चतम मतदान प्रतिशत को देखते हुए हम इस चरण को 'सुपरसिडीय' मान सकते हैं, जहाँ एन्क्लेव्ड जियोपॉलिटिकल दावों का प्रभाव स्पष्ट है। पश्चिम बंगाल के फ्रीक्वेंट मॉडलिंग से यह स्पष्ट होता है कि सिविक एंगेजमेंट का ROI उच्चतम स्तर पर है। अन्य राज्यों में तुलना करने पर हम 'वोट थ्रेशहोल्ड' को पुनः परिभाषित कर सकते हैं। इस दायरे में पार्टियों की कैम्पेन स्ट्रैटेजी और उनके पॉलिसी प्लेज़र को समझना आवश्यक है।
यहाँ तक कि जो लोग बाहरी ताकतों को ख़राब लगाते हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि हमारे मतदाता समान्य नहीं हैं, वे अपनी धरोहर की रक्षा के लिये लड़ते हैं। पश्चिम बंगाल में 78% ही नहीं, बल्कि यह एक सशक्त जनसमूह का प्रमाण है जो हमारी राष्ट्रीय भावना को जला रहा है। ये आंकड़े दिखाते हैं कि राष्ट्रवादी विचारधारा में अभी भी गहरी जड़ें हैं और कोई भी बाहरी हस्तक्षेप हमारे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बिगाड़ नहीं सकता।
यह चुनाव, जैसे एक महाकाव्य, अपने आप में कई रंगों का मिश्रण है। प्रथम, हम देखते हैं कि मतदान का माहौल एक ज्वलंत कलेडोस्कोप की तरह चमक रहा है, जहां हर राज्य की रफ़्तार अलग-अलग ध्वनियों में गूँजती है। फिर, पश्चिम बंगाल में 78% मतदान दर का आँकड़ा एक धड़कता हुआ दिल है, जो सभी को अपनी गति से खींचता है। झारखंड की 61.4% प्रतिशत भी एक मध्यम धारा के समान बहती है, जो इस महायज्ञ में अपनी भूमिका निभा रही है। ओड़िशा और हरियाणा की आँकड़े, जैसे दो नर्तकियों की ताल में कदम मिलाते हैं, दर्शाते हैं कि लोकतंत्र की शर्तें विविध हैं। दोपहर के समय जब आँकड़े 70% से ऊपर थे, तो यह स्पष्ट हो गया कि जनता के दिल में एक उत्सव धड़क रहा है। यह उत्सव केवल वोट डालने की नहीं, बल्कि अपनी आवाज़ को सुनाने की भी है। बेटी, इस प्रक्रिया में कई हाई-प्रोफ़ाइल सीटें भी थीं, जहाँ बड़े नेता अपने-अपने किलों को रख कर मुकाबला करते थे। इस संघर्ष में सत्ता के नाराजगी और आशा दोनों की मिठास बिखरी हुई थी। कभी कभी हम देखेंगे कि कुछ लोग इस लोकतांत्रिक महोत्सव को एक खेल समझते हैं, पर वास्तव में यह हमारे भविष्य की बुनियाद है। यही कारण है कि हर बूथ पर सीसीटीवी की मौजूदगी और अर्धसैनिक बलों की तैनाती एक सुरक्षित मंच बनाती है। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में जलवायु और व्यवस्था की चुनौतियों ने भी अपना रंग दिखाया, जिससे हमें सतर्क रहना पड़ा। अंततः, इस चुनाव ने हमें सिखाया कि भागीदारी सिर्फ़ संख्या नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय आत्मा की अभिव्यक्ति है। यह आत्मा, जो हमें आगे ले जाती है, वह ही असली जीत है। इसलिए, इस महान प्रक्रिया को सम्मान के साथ देखना चाहिए, क्योंकि यह हमें हमारे भविष्य के प्रति आशा देता है।
आप सभी ने मतदान किया, लेकिन वास्तविक बदलाव तभी आएगा जब हम अपने स्वयं के विकास पर ध्यान दें और बाहरी विचारों को न मानें।
लगता है इस चरण में विभिन्न राज्यों की भागीदारी ने देश की सांस्कृतिक विविधता को उजागर किया है, जो भारत की एकता में शक्ति का प्रतीक है।