- 30 सित॰ 2024
- के द्वारा प्रकाशित किया गया Daksh Bhargava
- राजनीति
प्रधानमंत्री मोदी ने किया फोन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को फोन किया जब खड़गे रविवार को जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में एक रैली के दौरान बीमार हो गए। यह घटना जसरोता इलाके में हुई थी जहां खड़गे आगामी विधानसभा चुनावों के लिए रैली को संबोधित कर रहे थे।
रैली के दौरान खराब हुई तबियत
मल्लिकार्जुन खड़गे रैली के बीच में ही अचानक चक्कर आकर गिर गए। इसके तुरंत बाद, उन्हें चिकित्सकीय जाँच के लिए एक कमरे में ले जाया गया। इस घटनाक्रम के बावजूद, खड़गे ने जनता को आश्वस्त करने के लिए वापसी की और कहा, 'मैं 83 साल का हूँ, इतनी जल्दी मरने वाला नहीं हूँ। मैं तब तक जीवित रहूँगा जब तक हम मोदी को नहीं हटाते।' उनकी इस घोषणा से जाहिर होता है कि वह अपने राजनीतिक मिशन को लेकर दृढ़ हैं।
स्वास्थ्य अद्यतन
कांग्रेस उपाध्यक्ष रवीन्द्र शर्मा ने खड़गे की सेहत की जानकारी दी और बताया कि उनका रक्तचाप हल्का कम था, लेकिन वह ठीक हैं। खड़गे के बेटे और कर्नाटक के मंत्री, प्रियंक खड़गे ने भी सोशल मीडिया पर अपडेट दिया और लोगों के अच्छे विचारों और शुभकामनाओं का धन्यवाद किया।
खड़गे का आगे का कार्यक्रम
खड़गे की सेहत को लेकर यह चर्चा भी है कि वह उधमपुर जिले के रामनगर में एक और सार्वजनिक रैली को संबोधित करने वाले हैं। हालांकि, यह डॉक्टरों की सिफारिश पर निर्भर करेगा कि वह इस रैली में शरीक हो पाएंगे या नहीं।
खड़गे की राजनीतिक सक्रियता और उनकी ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इतनी उम्र होने के बावजूद वह न केवल कांग्रेस का नेतृत्व कर रहे हैं, बल्कि जनता से सीधे संवाद भी कर रहे हैं।
राजनीतिक क्षेत्र में खड़गे का योगदान
मल्लिकार्जुन खड़गे का राजनीतिक सफर काफी लम्बा और अनुभव से भरा हुआ है। वह एक वरिष्ठ नेता हैं और कांग्रेस के महत्वपूर्ण स्तम्भ हैं। उनका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर की राज्य की स्थिति को बहाल करना है और इसके लिए वह कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
आगे की चुनौतियाँ
हालांकि, उनकी सेहत अब स्थिर है, लेकिन आगे की राजनीतिक यात्रा उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है, खासतौर पर उनकी उम्र और ताजगी को देखते हुए। लेकिन उनके उत्साह और जज्बे को देखते हुए, यह कहा जा सकता है कि वह आने वाले समय में राजनीतिक मंच पर सक्रिय बने रहेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी के इस फोन कॉल से भले ही यह सन्देश मिलता हो कि राजनीति में मानवीय संवेदनाएँ भी होती हैं, मगर इस घटना ने खड़गे के उत्साह और उनकी लम्बी राजनीतिक संघर्षशीलता को भी उजागर किया है।
इसे भी देखते हुए यह स्पष्ट होता है कि भारतीय राजनीति में ऐसी घटनाएँ आम हैं, लेकिन नेता अपने व्यक्तिगत स्वास्थ्य और व्यक्तिगत विचारधारा को प्राथमिकता देते हुए जनता के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते रहते हैं।
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