
- 26 सित॰ 2025
- Himanshu Kumar
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वित्तीय वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) के लिए आयकर ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने की सीमा 30 सितंबर 2025 से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 कर दी गई है, यह घोषणा केंद्रीय बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) ने गुरुवार को की। यह कदम कई चार्टर्ड अकाउंटेंट के संगठनों और कारोबारी प्रतिनिधियों की लगातार माँगों के बाद उठाया गया, जिन्होंने मौजूदा समय‑सीमा को लेकर व्यावहारिक कठिनाइयों को उजागर किया था।
जिला‑सत्र कोर्ट के आदेशों का प्रभाव
राखिस्तान हाई कोर्ट ने पहले ही 31 अक्टूबर 2025 तक की समाप्ति की मंजूरी दे दी थी, जिसे देखते हुए CBDT ने अपनी नीति में बदलाव किया। इसी प्रकार कर्नाटक हाई कोर्ट ने भी CBDT को समान विस्तार करने का निर्देश दिया था। इन न्यायिक हस्तक्षेपों ने आयकर विभाग को समीक्षा याचिका दायर करने और संभवतः सुप्रीम कोर्ट तक जा कर इस मुद्दे को उठाने पर विचार करने के लिए प्रेरित किया, क्योंकि विभाग का मानना था कि कर‑संबंधी समय‑सीमा वैधानिक प्रावधान हैं और न्यायालय के क्षेत्र में नहीं आती।

प्राकृतिक आपदाओं ने क्यों बढ़ाई समय‑सीमा?
विस्तार का प्रमुख कारण बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएँ हैं, जिन्होंने कई राज्यों में व्यापारिक गतिविधियों को लोप कर दिया। खेतों, गोदामों और कार्यालयों में जल‑धंसी से दस्तावेज़ों का नुकसान, डेटा प्रविष्टि में बाधा और फाइल‑सिस्टम की व्यवधान ने चार्टर्ड अकाउंटेंटों के काम करने की गति को काफी धीमा कर दिया। इन परिस्थितियों में 30 सितंबर की कड़ी समय‑सीमा को पूरा करना कई व्यवसाईयों के लिए असंभव बन गया।
आयकर ऑडिट के दायरे में वे सभी अस्तीसे (taxpayers) आते हैं जो धारा 139(1) के उप‑धारा (a) के तहत निर्दिष्ट टर्न‑ओवर सीमा से अधिक होते हैं और जिनके खाते चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा ऑडिट कराए जाने अनिवार्य हैं। इस वर्ग में उत्पादन, व्यापार, सेवा‑आधारित कंपनियों के साथ‑साथ पेशेवर फ्रीलांसर्स भी शामिल हैं।
CBDT ने कहा कि आयकर ई‑फ़ाइलिंग पोर्टल पूरी तरह से स्थिर और कार्यशील है। 24 सितंबर 2025 तक पोर्टल पर 4.02 लाख से अधिक टैक्स ऑडिट रिपोर्टें अपलोड हो चुकी हैं, जिसमें अकेले 24 सितंबर को 60 हजार से अधिक फाइलें जमा हुईं। इसके अलावा, 23 सितंबर 2025 तक 7.57 करोड़ आयकर रिटर्न जमा हो चुके हैं, जो दर्शाता है कि करदाता भारी मात्रा में ई‑फ़ाइलिंग का उपयोग कर रहे हैं।
अब तक की रिपोर्टों से पता चलता है कि कई छोटे‑मध्यम उद्योग और बड़े व्यापारिक निगम दोनों ही इस नई समय‑सीमा का लाभ उठाने की स्थिति में हैं। कुछ कर विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि आयकर रिटर्न (ITR) की अंतिम तिथि भी संभवतः 30 नवंबर 2025 तक बढ़ाई जा सकती है, लेकिन इस संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
इस विस्तार से हजारों व्यापारियों और कर‑पेशेवरों को भारी राहत मिलने की उम्मीद है। पहले की कड़ी तिथि के कारण कई कंपनियों को अतिरिक्त खर्च और दंड का सामना करना पड़ रहा था, जबकि अब उन्हें अपने लेखा‑पुस्तकों को व्यवस्थित करने, रिकॉर्ड्स को पुनः तैयार करने और ऑडिट को पूर्ण करने के लिये पर्याप्त समय मिल रहा है।
- CBDT ने आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी करने की पुष्टि की है, जिससे नई सीमा कानूनी बल प्राप्त करेगी।
- राखिस्तान और कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेशों ने इस निर्णय को वैधता प्रदान की है।
- प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुए व्यवधानों को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है।
- आगामी समय‑सीमा में करदाताओं को अपने दस्तावेज़ीकरण को सुगम बनाने के लिये अतिरिक्त दो‑तीन हफ़्ते मिलेंगे।
CBDT ने यह भी कहा कि ई‑फ़ाइलिंग पोर्टल में किसी भी तकनीकी गड़बड़ी की स्थिति में तत्परता से सहायता प्रदान की जाएगी, ताकि करदाताओं को आगे कोई कठिनाई न हो। नया समय‑सीमा लागू होने के बाद, कर विभाग की अपेक्षा है कि ऑडिट रिपोर्टों की संख्या और सुगमता से बढ़ेगी, जिससे आयकर संग्रह प्रक्रिया में भी सुधार होगा।