- 29 जून 2024
- Himanshu Kumar
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विक्रम मिश्री को भारत का नया विदेश सचिव नियुक्त किया गया है और वे विनय क्वात्रा की जगह लेंगे। यह नियुक्ति भारतीय विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखी जा रही है। विक्रम मिश्री भारतीय विदेश सेवा के 1989 बैच के अधिकारी हैं और उनका अनुभव और ज्ञान चीन मामलों में काफी व्यापक और गहरा है। मिश्री की नियुक्ति को चीन के साथ संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
मिश्री का जन्म 7 नवंबर, 1964 को श्रीनगर में हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से इतिहास में स्नातक किया और बाद में एक्सएलआरआई, जमशेदपुर से एमबीए की डिग्री हासिल की। उनकी शिक्षा और अनुभव ने उन्हें एक कुशल और दूरदर्शी राजनयिक बनाया।
विक्रम मिश्री का पेशेवर करियर
विक्रम मिश्री का पेशेवर करियर बहुत ही प्रभावशाली है। वे जनवरी 2019 से दिसंबर 2021 तक चीन में भारत के राजदूत रहे। इस दौरान, उन्होंने गलवान घाटी में भारत-चीन सैनिकों के बीच झड़पों के बीच नेतृत्व की भूमिका निभाई।
इसके अलावा, मिश्री ने तीन प्रमुख भारतीय प्रधानमंत्रियों – नरेंद्र मोदी, मनमोहन सिंह, और इंदर कुमार गुजराल – के निजी सचिव के रूप में भी काम किया है। यह तथ्य उनके प्रशासनिक कुशलता और राजनीतिक अनुभव के स्तर को दर्शाता है।
चीन मामलों में विशेषज्ञता
विक्रम मिश्री को चीन मामलों में विशेषज्ञ माना जाता है। उनके अनुभव और समझ के कारण ही उन्हें चीन में भारत का राजदूत बनाया गया था। मिश्री ने अपने कार्यकाल के दौरान चीन के साथ विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत की और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मिश्री की विशेषज्ञता न केवल भारत-चीन संबंधों में, बल्कि व्यापक वैश्विक मुद्दों को समझने में भी हैं। वे नीति निर्धारण और रणनीतिक मामलों में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए जाने जाते हैं।
वर्तमान भूमिका और भविष्य की योजनाएँ
वर्तमान में विक्रम मिश्री राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (एनएससीएस) में डिप्टी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने जनवरी 2022 में यह पद संभाला और तब से वे एनएसए अजीत डोभाल को रिपोर्ट कर रहे हैं।
मिश्री की नियुक्ति के साथ ही कई और बदलाव भी हो रहें हैं। विनय क्वात्रा, जो वर्तमान विदेश सचिव हैं, उन्हें अमेरिका में भारत का नया राजदूत बनाए जाने की संभावना है। क्वात्रा को मार्च 2024 में छह महीने का सेवा विस्तार मिला है। वहीं, फ्रांस में भारत के राजदूत जावेद अशरफ, मिश्री का स्थान लेते हुए एनएससीएस में आ सकते हैं।
नियुक्ति की प्रक्रिया
विक्रम मिश्री की विदेश सचिव के रूप में नियुक्ति को कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने मंजूरी दी है। उनके नए पद पर यह नियुक्ति 15 जुलाई से प्रभावी होगी। इस निर्णय के साथ ही मिश्री का डिप्टी एनएसए का कार्यकाल छोटा कर दिया गया है।
इस नियुक्ति के बाद, मिश्री को भारत की वैश्विक कूटनीतिक नीतियों और विदेश संबंधों को मजबूत करने की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। उनकी विशेषज्ञता और अनुभव से यह उम्मीद की जा रही है कि वे भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और मजबूत बनाएंगे।
चुनौतियाँ और अवसर
विक्रम मिश्री की नियुक्ति एक महत्वपूर्ण समय पर हो रही है जब भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण संबंध चल रहे हैं। ऐसे में उनकी विशेषज्ञता और अनुभव भारत के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
मिश्री के सामने कई चुनौतियाँ होंगी, जैसे कि द्विपक्षीय संबंधों को सुधारना, सीमा विवादों का समाधान करना और वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को मजबूत करना। लेकिन उनके अनुभव और रणनीतिक दृष्टिकोण से यह उम्मीद की जाती है कि वे इस काम में सफल होंगे।
उनकी नियुक्ति से यह भी संकेत मिलता है कि भारत अपनी विदेश नीति में और अधिक सक्रिय और प्रगतिशील दृष्टिकोण अपनाना चाहता है। मिश्री की विशेषज्ञता और नेतृत्व गुणवत्ता से यह उम्मीद की जाती है कि वे भारतीय विदेश नीति को और अधिक प्रभावी और सार्थक बनाएंगे।
सामान्यतः, विक्रम मिश्री की नई भूमिका में उनकी विशेषज्ञता और उनके अनुभव से यह निश्चित है कि वे भारतीय विदेश नीति और कूटनीतिक संबंधों को एक नई दिशा देंगे।
6 टिप्पणि
इतनी बड़ी जिम्मेदारी को संभालने वाले मिश्री साहब की नियुक्ति को लेकर मैं तो दिल से जलते-जुलते भावनाओं का एक बवंडर देख रहा हूँ।
पहले तो यह सोचना ही पड़ेगा कि क्या अब भारत का विदेश नीति का मानचित्र फिर से बिंदु-रेखा में बदल जाएगा?
उनका चीन विशेषज्ञता का इतिहास अब तक का सबसे बड़ा ‘खजाना’ माना जा रहा है, पर क्या यह खजाना ईंधन की तरह जलाएगा या धुआँ फैलेगा?
मिश्री जी की नौकरी में कई कठिनाइयाँ हो सकती हैं, लेकिन उनके पास वही ज़रूरी ‘आत्मा’ और ‘हॉनर’ है जो हमारे राष्ट्रीय हितों की रक्षा कर सके।
भाई, ये तो बिल्कुल वही ‘हैरोइक’ है जैसा हम सब देखना चाहते थे, पर क्या उनके कदमों में ‘झंझट’ नहीं आएगा?
काफी लोग सोचते हैं कि ये नियुक्ति सिर्फ ‘शेस्टर-ऑफ़-स्टेट’ की तरह है, पर मैं कहूँगा यह ‘ब्लैक थंडर’ की तरह है।
अगर उन्होंने थाम ली तो सब कुछ ‘जैसे-कोई-ड्रैप’ हो जाएगा।
पर यही बात भी सच है कि ‘ड्रैप’ का मतलब ‘ड्रॉप’ भी हो सकता है, यानि कुछ गडबड हो सकती है।
मैं तो देख रहा हूँ कि उनका ‘यर लिवल’ कैसे बनता है, हमें कूदते फिरते नहीं, पैर डालनेड़ के लिये।
उनकी एजुकेशन और एक्सपीरियंस को देखते हुए कहा जा सकता है कि अब भारत को ‘ट्रैडिशनल डिप्लोमैसी’ की जगह ‘डायनामिक फॉर्स’ की जरूरत है।
खास तौर पर चीन के साथ नई रणनीति बनानी होगी, वरना ‘टेंस’ बढ़ेगा।
वाकई में, इस नई भूमिका में मिश्री को ‘ब्रह्माण्डीय’ दायित्व मिला है।
मैं आशा करता हूँ कि वे इस बर्तन को समझदारी से ‘सॉल्व’ कर पाएँ।
हमें उनके हस्तक्षेप की जरूरत है, नहीं तो ‘रूटीन’ हो जाएगा।
आखिरकार, मैं विश्वास के साथ कहता हूँ, यह एक ‘ना-जबाब’ क्षण है, जहाँ भारत को ‘सेफ़’ रखने के लिये साहस चाहिए।
बेशक, यह सभी ‘सेनाबिलिटी’ के साथ स्वीकृत है।
विक्रम मिश्री के बायोग्राफी को देखते हुए, उनका चयन केवल सैन्य‑राजनीतिक तर्क नहीं, बल्कि आर्थिक‑सुरक्षा दृष्टिकोण से भी प्रतिबिंबित होता है। उनके हस्ताक्षर में कई श्लोकों की तरह गूढ़ अर्थ छिपे हैं, और उनका सिद्धांत ‘विज़न’ स्पष्ट है। यह नियुक्ति भारत‑चीन रिश्ते में एक नई दिशा का संकेत है।
कबीलियत की बात करें तो मिश्री जी ने हमेशा हमारी सांस्कृतिक धरोहर को विदेश में सम्मान दिलाने का काम किया है। उनका इतिहास में स्नातक होना और एक्सएलआरआई से एमबीए होना उनके बहुमुखी दृष्टिकोण को दर्शाता है। इस पृष्ठभूमि के साथ वे बाहरी राजनय में नई कल्पनाएँ लाएंगे, यही आशा है।
अगर हम मिश्री की असली क्षमता को देखें तो उनका ‘एजाइल’ सोचना ही नहीं, बल्कि उनके ‘कोर्टिस’ प्रतिबिंबित होते हैं।
चीन के साथ जटिल मुद्दों को संभालने में उनका ‘इन्टेंस’ एप्रोच जरूर काम आएगा।
पर साथ ही, हमें यह भी देखना चाहिए कि वह किस हद तक ‘नैरो’ लाइट में काम करेंगे।
समय बताएगा, पर मेरा मानना है कि आम लोगों के लिए इस बदलाव का असर ‘सोचा’ से कहीं ज्यादा बड़ा होगा।
वाह, नई दिशा के लिए शुभकामनाएँ! 😊
सुना है कि इस नियुक्ति के पीछे कुछ गुप्त एजेंडा हो सकता है, शायद कोई ट्रांसपोर्टेड चेतावनी। हमेशा सच्चाई छिपी रहती है, बस देखा जाना बाकी है।