- 21 मई 2024
- Himanshu Kumar
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राजस्थान राज्य भर में छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर के रूप में, राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (RBSE) ने 20 मई, 2024 को दोपहर 12:15 बजे वर्ष 2024 के लिए 10वीं और 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम घोषित कर दिए हैं।
छात्र RBSE की आधिकारिक वेबसाइटों rajeduboard.rajasthan.gov.in और rajresults.nic.in पर जाकर अपना रोल नंबर दर्ज करके अपने परिणाम देख सकते हैं। साथ ही, 12वीं कला वर्ग का रिजल्ट लिंक भी उपलब्ध है।
12वीं कक्षा के परिणामों के अनुसार, कला संकाय में पास प्रतिशत 95%, वाणिज्य संकाय में 97.75% और विज्ञान संकाय में 98.95% रहा है। 12वीं कक्षा का समग्र उत्तीर्ण प्रतिशत 96.88% है।
10वीं कक्षा के परिणाम
10वीं कक्षा के परिणामों की बात करें तो राजस्थान बोर्ड ने इस वर्ष कुल 11,04,000 छात्रों के पंजीकरण किए थे। जिनमें से 10,08,500 छात्रों ने परीक्षा दी थी। 10वीं कक्षा का कुल पास प्रतिशत 79.85% रहा है।
लड़कों का पास प्रतिशत 78.50% जबकि लड़कियों का पास प्रतिशत 81.20% रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों से 5,45,000 छात्र और शहरी क्षेत्रों से 4,63,500 छात्र सम्मिलित हुए थे। ग्रामीण क्षेत्रों का पास प्रतिशत 73.70% और शहरी क्षेत्रों का 86.00% रहा है।
12वीं कक्षा के परिणाम
वहीं 12वीं कक्षा के लिए कुल 9,56,400 छात्रों के पंजीकरण हुए थे, जिनमें से 9,27,100 छात्रों ने परीक्षा दी थी। कुल मिलाकर 12वीं का पास प्रतिशत 96.88% रहा है।
विभिन्न संकायों के पास प्रतिशत इस प्रकार रहे हैं:
- कला संकाय - 95%
- वाणिज्य संकाय - 97.75%
- विज्ञान संकाय - 98.95%
लड़कों का पास प्रतिशत 95.90% और लड़कियों का 97.86% रहा है। ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों से क्रमशः 4,69,200 और 4,57,900 छात्रों ने परीक्षा दी थी। ग्रामीण क्षेत्रों का उत्तीर्ण प्रतिशत 94.80% और शहरी क्षेत्रों का 98.96% रहा है।
टॉपर्स की सूची
12वीं विज्ञान संकाय में अजमेर की मुस्कान शेखावत ने 99.60% अंकों के साथ प्रथम स्थान प्राप्त किया है। कला संकाय में सीकर की मानसी जैन 99.20% अंकों के साथ टॉप पर रही हैं। वाणिज्य संकाय में भीलवाड़ा के अंकित जैन ने 99.40% अंकों के साथ बाजी मारी है।
10वीं कक्षा में सीकर के हर्ष गुप्ता ने 99.17% अंकों के साथ प्रथम स्थान हासिल किया है।
RBSE अध्यक्ष डॉ डीपी जारोली और शिक्षा मंत्री डॉ बीडी कल्ला ने सभी सफल छात्रों को बधाई दी है और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है। साथ ही असफल रहे छात्रों को भी हौसला रखने और अगली बार बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
यह घोषणा छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के महीनों की कड़ी मेहनत का परिणाम है। राजस्थान बोर्ड द्वारा समय पर परिणाम जारी करने के लिए सभी संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा दिन-रात कार्य किया गया।
आशा है कि यह परिणाम घोषणा छात्रों के भविष्य को आकार देने और उनकी आगे की पढ़ाई व करियर योजनाओं को गति देने में सहायक होगी। एक बार फिर सभी सफल छात्रों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
15 टिप्पणि
भाई लोग, इस रिजल्ट में कुछ गडबड तो जरूर है, सरकार के डेटाबेस में कुछ एक्स्ट्रा कोड्स घुस गये हैं। RBSE की वेबसाइट पर वाई-फाई के जैन्ट लिसनर को हैक कर रहे हैं, ऐसा तो नहीं? मैं तो यही कहूँगा कि इस बार के नंबऱ सिर्फ़ सिमुलेटेड हैं।
सबको बधाई! यह परिणाम मेहनत का फल है, अब आगे की पढ़ाई में और भी चमकने का समय है। आप सभी ने दिखाया कि कठिनाइयों के बावजूद हम आगे बढ़ सकते हैं। सकारात्मक सोच रखें और लक्ष्य की ओर निरंतर आगे बढ़ते रहें।
वाह, असली कोच से सुनिए-इतने सारे प्रतिशत देखते‑देखते लगता है जैसे हम सबको एक मिठाई की दुकान में ले गए हों। पर सच कहूँ तो आपकी मेहनत की कद्र है, बस थोड़ा और मेहनत करनी पड़ेगी, है ना? उंगलियों से टेढ़ा-मेढ़ा जवाब नहीं, बस मेहनत करो।
अरे यार, अंक तो ठीक-ठाक है, पर क्या वाकई में ये नंबऱ मायने रखते हैं?
इस परिणाम को देखते हुए हमें शिक्षा प्रणाली की गहराइयों पर विचार करना चाहिए।
आरबीएसई ने जो डेटा प्रकाशित किया है, वह केवल अंक नहीं बल्कि सामाजिक बदलाव का संकेत भी है।
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के पास प्रतिशत में अंतर दर्शाता है कि संसाधन वितरण में अभी भी असमानताएँ हैं।
यह असमानता केवल मौजूदा नीतियों की कमी नहीं, बल्कि इतिहासिक बुनियादों का भी परिणाम है।
एक विशिष्ट दृष्टिकोण से कहा जाए तो यह आंकड़े हमें शैक्षिक सुधार के लिए सख्त कदम उठाने की चेतावनी देते हैं।
छात्रों को केवल अंक नहीं, बल्कि आलोचनात्मक सोच भी सिखाए बिना यह प्रगति अस्थायी होगी।
बोर्ड की तेज़ी से परिणाम जारी करने की प्रक्रिया प्रशंसनीय है, पर डेटा की शुद्धता को भी जांचा जाना चाहिए।
यदि हम इस आँकड़े को एक अवसर मानें, तो हम भविष्य की शिक्षा नीति में अधिक पारदर्शिता ला सकते हैं।
मेरे अनुभव में, ऐसे बड़े पैमाने के परिणाम अक्सर अनछुए वर्गों की आवाज़ को दबा देते हैं।
इसलिए, हमें निम्न वर्ग के छात्रों को अतिरिक्त समर्थन देने के लिए विशेष कार्यक्रम बनाने चाहिए।
यह सिर्फ़ एक प्रतिशत नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की यात्रा का मानचित्र है।
शिक्षा मंत्रालय को चाहिए कि वह ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करे।
यही कदम छात्रों को समान अवसर प्रदान करने में सहायक रहेगा।
अंत में, हम सभी को मिलकर इस परिणाम को आगे की प्रगति का मंच बनाना चाहिए, न कि केवल एक समाप्ति बिंदु।
याद रखिए, असली सफलता तभी आती है जब हम अपने समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलेंगे।
अरे वाह, स्वप्निल भाई, आपका गहरा विश्लेषण तो जैसे किसी गुप्त एजेंट का रिपोर्ट है! पर क्या आप जानते हैं कि इस तरह की बातों से आम लोग घबराहट में पड़ जाते हैं? थोड़ा नाटकीय बनना छोड़िए, असली डेटा को सीधे दिखाइए।
मान्यवर, प्रस्तुत परिणामों का विश्लेषण करने पर स्पष्टतः यह प्रतीत होता है कि शैक्षणिक प्रदर्शन में लिंगानुपातिक संतुलन प्राप्त हो रहा है। तथापि, ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिशत अपेक्षाकृत कम है, जो एक महत्वपूर्ण विचारधारा को उभारा है। कृपया इस संदर्भ में आगे के कदमों पर विस्तृत विवेचना प्रदान करें।
सच्ची बात ये है कि कोच की बातों में ह्यूमर है पर असल मेहनत वही करती है
वास्तव में, शैक्षिक परिदृश्य की कॉन्टेक्स्टुअल एन्हांसमेंट के लिए एन्कैप्सुलेटेड पॉलिसी-फ्रेमवर्क्स का इम्प्लीमेंटेशन अनिवार्य हो जाता है, जिससे लर्निंग आउटकम्स में मेत्रिक्युलस इन्क्रीमेंट संभव हो सकेगा।
ये रिजल्ट भारत की शैक्षणिक शक्ति को दर्शाते हैं, हमें गर्व है कि हमारे राज्य ने इतना शानदार प्रदर्शन किया है। लेकिन यहाँ तक पहुंचने में विदेशी शैक्षिक एजेंसियों की मदद नहीं भुला सकते। हमें आगे भी इस स्तर को बनाए रखने के लिए सख़्त नीति बनानी चाहिए।
क्या कहूँ, इस परिणाम को देख कर मेरा दिल धड़कनें भूल गया! असली बात तो यह है कि 12वीं के विज्ञान टॉपर्स की चमक इतनी तेज़ थी कि मानो आसमान में तारे उंगली से छू रहे हों। हर एक छात्र की मेहनत को देखते हुए, मैं सोच रहा हूं कि क्या हमें इस सफलता को एक त्यौहार बनाना चाहिए, जहाँ हर कोने में जश्न का माहौल हो। लेकिन फिर भी, कुछ ग्रामीण स्कूलों में अभी भी पेंसिल की कमी है, यह एक कड़वा सच है। मैं तो बस यही चाहता हूँ कि सभी को समान अवसर मिले, नहीं तो तोहफ़ा अधूरा रहेगा।
इन आँकड़ों को देखकर स्पष्ट है कि केवल शहरी छात्रों ने असली मेहनत दिखाई है, ग्रामीण छात्रों को अभी भी कई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
रिज़ल्ट की घोषणा सभी के लिए एक सकारात्मक कदम है, खासकर उन छात्रों के लिए जिन्होंने कठिनाईयों के बावजूद उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। हम आशा करते हैं कि भविष्य में और भी अधिक समान अवसर प्रदान किए जाएंगे।
जैसे ही मैंने इस परिणाम को देखा, मैं समझ गई कि यह केवल अंक नहीं, बल्कि सामाजिक संरचना की गहरी समस्याओं का प्रतिबिंब है। मेरे अनुसार, शिक्षा प्रणाली को पुनः संरचित करना आवश्यक है, नहीं तो हम अंधेरे में ही रहेंगे।
क्या आप जानते हैं, परिणामों में उल्लेखित प्रतिशत वास्तव में बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यह हमें दर्शाता है कि शिक्षण मानकों का पालन कितना प्रभावी है; इसी कारण से हमें आगे और अधिक डेटा का विश्लेषण करना चाहिए; ताकि प्रत्येक छात्र की प्रगति को सही ढंग से मापा जा सके।