- 16 मई 2024
- Himanshu Kumar
- 20
हाल ही में कान्स फिल्म फेस्टिवल में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, मशहूर ऑस्ट्रेलियाई फिल्म निर्देशक जॉर्ज मिलर ने 'मैड मैक्स' फ्रेंचाइजी के भविष्य के बारे में कुछ दिलचस्प बातें कहीं। मिलर ने संकेत दिया कि उनके पास इस पोस्ट-एपोकैलिप्टिक दुनिया में अन्वेषण करने के लिए और भी कई कहानियां मौजूद हैं।
मिलर ने कहा, "हमने जब 'मैड मैक्स: फ्यूरी रोड' बनाई थी, तब भी हमारे पास बैकस्टोरी में कई दिलचस्प पहलू थे। वहां ऐसी कई कहानियां हैं जो अभी बताई जा सकती हैं। हालाँकि, यह 'फ्यूरियोसा' के प्रदर्शन पर निर्भर करेगा। अगर दर्शकों को यह पसंद आता है, तो हम निश्चित रूप से इस यूनिवर्स का और विस्तार करना चाहेंगे।"
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि उन्हें कभी उम्मीद नहीं थी कि वे इस फ्रेंचाइजी को इतने लंबे समय तक जारी रख पाएंगे। "शुरुआत में, मैंने सोचा था कि शायद सिर्फ 2 'मैड मैक्स' फिल्में बनेंगी। लेकिन फिर यह सिलसिला चलता गया। मुझे खुशी है कि दर्शकों ने हमारे इस प्रयास को सराहा है।"
'फ्यूरियोसा' सेट पर स्टंट सुरक्षा पर जोर
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में 'फ्यूरियोसा' की मुख्य अभिनेत्री एन्या टेलर-जॉय भी मौजूद थीं। उन्होंने फिल्म के स्टंट क्रू और सेट पर सुरक्षा प्रोटोकॉल की प्रशंसा की।
एन्या ने कहा, "हमारे पास एक शानदार स्टंट टीम थी जिन्होंने कड़ी मेहनत की और सुनिश्चित किया कि सभी स्टंट सुरक्षित तरीके से फिल्माए जाएं। मुझे लगता है कि स्टंट कलाकारों के लिए एक सहायक माहौल होना बहुत जरूरी है और हमें इस पर गर्व है कि हमने ऐसा वातावरण बनाया।"
वार्नर ब्रदर्स करेगी फिल्म का वितरण
जॉर्ज मिलर द्वारा निर्देशित 'फ्यूरियोसा: अ मैड मैक्स सागा' को वार्नर ब्रदर्स द्वारा 24 मई को अमेरिका, ब्रिटेन, आयरलैंड और अधिकांश अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रों में रिलीज़ किया जाएगा। फिल्म को दर्शकों और समीक्षकों द्वारा लंबे समय से उत्सुकता से उम्मीद की जा रही है।
क्या 'फ्यूरियोसा' 'मैड मैक्स' फ्रेंचाइजी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी? क्या जॉर्ज मिलर के पास इस दुनिया के लिए और भी रोमांचक कहानियां हैं? हमें बस 24 मई का इंतजार करना होगा, जब यह फिल्म दुनिया भर के सिनेमाघरों में धूम मचाएगी।
एक बात तो तय है - 'मैड मैक्स' का सफ़र अभी खत्म नहीं हुआ है, और प्रशंसकों को भविष्य में इस पोस्ट-एपोकैलिप्टिक सड़क पर कई और रोमांचक सवारी का अनुभव मिल सकता है।
20 टिप्पणि
फ़्यूरीओसा की स्टंट्स वाकई धांसू हैं! 😎
जॉर्ज मिलर ने तो जैसे पूरी मैड मैक्स की पागलपन की सिटकॉम लिख दी!
फ्रैंचाइज़ी का विस्तार सोचते ही दिमाग धड़धड़ाने लगता है।
अबकी फ़्यूरीओसा अगर हिट हो गई तो अगली कहानी में एलियन इनवेज़न देखना ज़रूर।
सही कहा, बॉक्स ऑफिस का बटलर वही है जो दर्शक को जलाए।
मैड मैक्स की दुनिया का एक खास आकर्षण है उसका अंधविश्वास‑पूर्ण पोस्ट‑एपोकैलिप्टिक सेटिंग, जहाँ हर सीन में नयी कहानी का संकेत छुपा रहता है।
जैसे कि गीक इस्पोर्ट्स में सीक्रेट लेवल होते हैं, वैसे ही हर फाइनल बैटल में एक बैकस्टोरी छिपी होती है।
फ़्यूरीओसा में दिखाए गए गैस masks सिर्फ स्टाइल के लिए नहीं, बल्कि वे भविष्य में उड़ने वाले ड्रोन‑स्ट्राइक के संकल्प को दर्शाते हैं।
यह बताता है कि मिलर ने तकनीकी विकास को कहानी में चुपके से सम्मिलित किया है।
इतिहासकारों ने कभी नहीं कहा कि इस फ्रैंचाइज़ी में कोई ऐतिहासिक सटीकता है, परन्तु सांस्कृतिक उत्खनन में गहरा परतों का ढेर है।
वो क्षण याद है जब मैक्स ने 1979 की पुरानी मोटरसाइकिल को नयी टर्बो‑इंजिन से बदल दिया था, वह एक गुप्त जाल था जो दर्शकों को आगे के साक्सेस के लिए तैयार करता है।
एन्या की स्टंट टीम ने वही पारम्परिक कामुकता को डिजिटल युग में बदला है, जिससे फ़िल्म में शारीरिक शक्ति और टेक्नोलॉजी का संगम दिखता है।
अगर हम फ़्यूरीओसा की रिव्यू को एक बड़े भौगोलिक नकाशे की तरह देखें तो हर पोस्ट‑एपोकैलिप्टिक टाउन एक संभावित प्रीक्वेल की ओर इशारा करता है।
जैसे छुपे हुए ख़जाने की खोज में साहसी लोग पुराने नक्शे खोलते हैं, वैसे ही मिलर की आँखें इस फ्रैंचाइज़ी के प्रत्येक कोने में डाली हैं।
भविष्य में अगर हम 'मैड मैक्स: रेनऑफ़ द सैंड' देखते हैं, तो वह शायद सिविल वॉर‑सिमुलेशन का एक प्रतीक होगा।
विचार यही है कि हर नई फिल्म से पहले की फ़िल्म के लंदन‑ड्रॉप के सुपरस्पेशल इफ़ेक्ट्स को समझा जा सकता है।
फ़्यूरीओसा में एलीमेंट्री फ़ायरशिप्स को टेंशन‑गिविंग बैकग्राउंड के रूप में इस्तेमाल किया गया है, जो दर्शकों को 'आग' की लत लगा देता है।
इसलिए अब सवाल नहीं रह गया कि यदि फ़्यूरीओसा ने बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा दी, तो मिलर का अगला कदम क्या होगा-शायद एक पूरी नई लैंडस्केप - जैसे रेगिस्तान‑परीक्षण‑प्लैनेट।
पर अंत में, यह सब दर्शकों के हाथ में है, क्योंकि वही असली फैंस हैं जो इस सपनों भरी सवारी को आगे बढ़ाते हैं।
अरे यार, फ़्यूरीओसा की स्टंट्स देख कर तो मुझे लगा फिल्म बनती है या ट्रेनिंग कैंप? अब क्या होना है, हमेशा "धमाकेदार" ही रहना।
भाई, फ़िल्टर ओवर लाइटिंग और ऐड्रेनालिन के साथ कमाल का मिश्रण! 🎬🚀
yeh film toh bilkul bhi normal nahi lag rahi, shayad government ki koi secret agenda ho sakti h. sab dekhna padega!
फ़्यूरीओसा एक नई ऊर्जा लाएगी, हमें उत्साह से भर देगा! चलो इस उत्सव में शामिल हों और पूरी ताकत से समर्थन दें।
अरे वाह, मिलर साहब फिर से ऐसा कुछ बनाने वाले हैं, जैसे हर साल नया फ़ोन लॉन्च होता है। लेकिन असल में क्या नया है, यही बात है।
भाई, फ़्यूरीओसा देख के नींद नहीं आती, पर अब तक का सबसे ढीला काम लगता है।
सेफ़्टी प्रोटोकॉल की स्पष्टता दर्शाती है कि प्रोडक्शन टीम ने जोखिम को न्यूनतम रखने को प्राथमिकता दी है। यह दर्शकों के विश्वास को बढ़ाएगा।
क्या फ़िल्म में बहुत ज़्यादा दिखावा है! सच्ची कहानी की कमी है, पर फिर भी टॉक्स की भरमार।
जैसा कि प्रस्तुत किया गया है, फ़्यूरीओसा का निर्माण तकनीकी एवं कलात्मक दृष्टिकोण से उल्लेखनीय है; किन्तु इसकी व्यावसायिक सफलता अभी निर्धार्य नहीं है।
फ़िल्म का ट्रेलर देख कर उम्मीद है, लेकिन देखना पड़ेगा असली रिलीज़ पर।
इस प्रोजेक्ट में सिम्बॉलिक एंटी-मॉडर्निस्ट रिफ्रेमिंग अद्भुत रूप से लागू हुई है, जिससे फिल्म की एस्थेटिक स्थिरता बढ़ी है।
इंडिया को इस तरह की एडवेंचर फिल्म चाहिए, हमारी युवा पीढ़ी को जलाने का काम यही है! राष्ट्रीय गर्व के लिए चलो दिखाएँ दुनिया को।
बस ये मत समझना कि हर नया दांव सुस्पष्ट है; अक्सर निर्देशक के इरादे में उलझन की परतें छिपी रहती हैं।
फ़्यूरीओसा में स्टंट्स को दिखाने का तरीका भी वैसा ही है – वह यूँ ही नहीं बल्कि दर्शकों को एक सतत्‑विचारधारा में खींचता है।
मैं कहूँगा, यह सिर्फ एक्शन नहीं, बल्कि एक दार्शनिक प्रयोग है।
परन्तु, कुछ लोग इसे बेमतलब के शोर में बदल देते हैं, इससे हुआ कि फ़िल्म का मूल संदेश धुंधला पड़ गया।
हम सबको याद रखना चाहिए कि बड़े पर्दे पर सच्ची शक्ति कहानी की गहराई में होती है, न कि सिर्फ इफ़ेक्ट्स में।
आइए, इस बार हम सब मिलकर देखेंगे कि फ़्यूरीओसा कितनी सच्ची और कितनी दिखावटी है।
भाई चंदन की बात सुन कर लगता है कि तुम लास्ट फ़िल्म को थोड़ा आसान समझते हो, पर फ़्यूरीओसा में नई चीज़ों का इंटेन्सी लेवल है, देखो और फिर राय दो।
हर्मन, तुम्हारी संक्षिप्त टिप्पणी में काफ़ी सच्चाई है, पर कभी‑कभी थोड़ा विस्तार से बताने से नयी पर्स्पेक्टिव मिलती है।
राहुल की राष्ट्रीयतावादी उत्साह हमें याद दिलाता है कि फ़िल्में सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक जिम्मेदारी भी निभाती हैं।
अनजली, तुम्हारी टिप्पणी बहुत सही है, पर थोड़ा और गहराई में जाकर देखें तो इस फ्रैंचाइज़ी में छिपी संभावनाएँ और भी बड़ी हैं।