- 25 अक्तू॰ 2024
- के द्वारा प्रकाशित किया गया Daksh Bhargava
- मनोरंजन
फिल्म 'दो पत्ती': कमजोर कहानी या बंद तालियां?
शंशिका चतुर्वेदी के निर्देशन में बनी फिल्म 'दो पत्ती' का पहला दृश्य ही आपको सोच में डाल देता है। Kriti Sanon ने एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण दोहरी भूमिका को निभाते हुए जुड़वा बहनों - सौम्या और शेले की कहानी को जीने की कोशिश की है। कहानी में यह उलझन सिर्फ जुड़वा बहनों के बीच के बैर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नव यथार्थवाद की अंतर्निहित परतों को भी सहजता से उजागर करती है।
फिल्म की शुरुआत में सौम्या और शेले के इर्द-गिर्द एक तनावपूर्ण घटनाक्रम को दर्शाया गया है, जो बचपन की दुश्मनी का परिणाम है। यही तनाव कहानी में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ लाता है जब शेले, सौम्या के प्रेमी ध्रुव के प्रति आकर्षित होती है। ध्रुव की भूमिका में Shaheer Sheikh, जो एक समर्पित अभिनेता हैं, आत्मा में घुसने की कोशिश करते हैं लेकिन कहानी की दृश्यता के अभाव के कारण उनका प्रदर्शन फीका पड़ जाता है।
घरेलू हिंसा का दुर्भाग्यपूर्ण चित्रण
फिल्म का केंद्रीय विषय घरेलू हिंसा है। कृति सेनन ने इसे कुछ हद तक संवेदनशीलता के साथ निभाया है, लेकिन आलोचकों का मानना है कि फिल्म इस मुद्दे का उतना गौर नहीं कर पायी जितना अपेक्षित था। यह एक गंभीर विषय है जिस पर फिल्म में विवेकपूर्ण और जिम्मेदार दृष्टिकोण की अनुपस्थिति महसूस होती है।
सहित भाग्यशाली कास्टिंग में काजोल भी हैं, जो ईमानदार पुलिस निरीक्षक विद्या ज्योति की भूमिका में दिखाई देती हैं। उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होते हुए भी फिल्म में पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाई। जबकि ब्रिजेंद्र काला, तन्वी आज़मी और सोहिला कपूर ने भी अपने अपने अद्वितीय अंदाज में फिल्म को संपन्न किया है।
स्त्रियों के संघर्ष का द्वंद्व
फिल्म का सबसे दिलचस्प आयाम यह है कि यह दोनों बहनों के जरिए स्त्री के भीतर के संघर्ष को दिखाने की कोशिश करता है, जहाँ एक महिला में अपने दबाव और साहस के प्रतीक होते हैं। लेकिन अफसोस कि इस विचार का संपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से विकास नहीं हो पाया।
फिल्म का यह द्वंद्व उन लाखों महिलाओं का बोलबाला है जो लाचारी और साहस के बीच झूलती रहती हैं। इस पृष्ठभूमि में Kriti Sanon का प्रदर्शन दिलकश है। उनके किरदार की पीड़ा और अंदरूनी ताकत एक स्थिति को समझाने की कोशिश करते हैं लेकिन काजोल की उपस्थिति और उनके संभावित प्रदर्शन को फिल्म में सही से जगह नहीं मिलती।
दो पत्ती का रणक्षेत्र: अच्छा तारा, खराब स्क्रिप्ट
कुल मिलाकर 'दो पत्ती' उन दर्शन-संकलनों का हिस्सा बनने में विफल रही है जिनकी उम्मीद की जाती थी। एक मजबूत कास्ट के बावजूद, स्क्रिप्ट अधिकांश दर्शकों को अपनी तरफ नहीं खींच पाई। फिल्म का प्रदर्शन उन फिल्मों की श्रृंखला का हिस्सा है जो महिलाओं के सशक्तिकरण के नाम पर अंततः ध्यान से बाहर जाती हैं। फिल्म एक ऐसी खूबियों की रचना कर सकती थी जो समानता और संघर्ष की दुनिया को आकार देती, लेकिन वह ऐसी भिन्नताओं में उलझ जाती है जिन्हें वह प्रभावशाली रूप से प्रस्तुत नहीं कर पाई।
एक टिप्पणी करना