![आर्थिक सर्वेक्षण 2025: वित्त वर्ष 2026 में भारत की जीडीपी वृद्धि 6.3% से 6.8% के बीच संभावित](/uploads/2025/02/arthika-sarveksana-2025-vitta-varsa-2026-mem-bharata-ki-jidipi-vrd-dhi-6.3-se-6.8-ke-bica-sambhavita.webp)
- 1 फ़र॰ 2025
- के द्वारा प्रकाशित किया गया Daksh Bhargava
- आर्थिक
वित्त मंत्री ने संसद में पेश किया आर्थिक सर्वेक्षण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी, 2025 को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 प्रस्तुत किया। इस दस्तावेज का अर्थशास्त्रियों और नीतिनिर्माताओं द्वारा नजदीकी से अध्ययन किया जाता है, क्योंकि यह नीति निर्धारण के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ बिंदु होता है। यह सालाना सरकारी बजट से पहले प्रस्तुत किया जाता है और इसमें सभी क्षेत्रों के कुल प्रदर्शन का विस्तृत विवरण होता है।
वर्तमान आर्थिक स्थिति का विस्तृत मूल्यांकन
सर्वेक्षण में इस बात पर जोर दिया गया है कि भारत की आर्थिक विकास दर वित्त वर्ष 2025-26 में 6.3% से 6.8% के बीच रह सकती है। यह भविष्यवाणी तेजी से बदलती वैश्विक अर्थव्यवस्था के बीच आर्थिक स्थिरता को ध्यान में रखते हुए की गई है। भारत के वास्तविक जीडीपी विकास के लिए पहले अग्रिम अनुमान में 6.4% की वृद्धि का अनुमान रखा गया है।
जीडीपी वृद्धि और उपभोगशीलता पर प्रभाव
वैश्विक अनिश्चितता और वित्तीय दृष्टिकोण में परिवर्तनशीलता के बावजूद निजी अंतिम खपत व्यय (पीएफसीई) में 7.3% की वृद्धि का अनुमान है। ग्रामीण मांग में पुनरुद्धार इस वृद्धि का मुख्य कारण है। इसके साथ ही, स्थायी कीमतों पर सकल स्थिर पूँजी निर्माण (जीएफसीएफ) में 6.4% की वृद्धि की संभावना है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिति
सर्वेक्षण बताता है कि वैश्विक मिश्रित खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) लगातार चौदह महीने बढ़ा है। सेवा क्षेत्र में वृद्धि दर्ज की गई है लेकिन विपरीत तर्ज पर, विनिर्माण पीएमआई में संकीर्णता आई है। इसके साथ ही, सर्वेक्षण ने आर्थिक विकास को बनाए रखने, वित्तीय समावेशन में सुधार करने और रोजगार तथा क्षेत्रीय विकास की चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
![रुपये की डॉलर के मुकाबले गिरती कीमत](/uploads/2025/02/rupaye-ki-dolara-ke-mukabale-girati-kimata-arthika-sarveksana-2025-vitta-varsa-2026-mem-bharata-ki-jidipi-vrd-dhi-6.3-se-6.8-ke-bica-sambhavita.webp)
रुपये की डॉलर के मुकाबले गिरती कीमत
सर्वेक्षण में यह भी उल्लेख किया गया है कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में गिरावट के कारण कुछ वित्तीय चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। इससे आयात लागत में वृद्धि और मुद्रास्फीति पर संभावित प्रभाव हो सकता है।
सरकार की नीति प्राथमिकताओं का सुझाव
वित्त मंत्री ने संभावित भविष्य के लिए योजनाओं को स्पष्ट करते हुए सरकारी खर्च में रणनीतिक सुधारों पर जोर दिया। इसका उद्देश्य सतत विकास दर को मजबूत करना और लंबी अवधि में वित्तीय स्थिरता प्राप्त करना है।
यह रिपोर्ट आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक प्रभाग द्वारा तैयार की गई है और इसका अवलोकन मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनन्त नागेश्वरन के निर्देशकत्त्व में हुआ है। यह आर्थिक विशेषज्ञता और डेटा-आधारित विश्लेषण का प्रतीक है जो भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं को व्यापक रूप से समझने के लिए लाभकारी माना जाता है।
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