- 6 अक्तू॰ 2024
- के द्वारा प्रकाशित किया गया Daksh Bhargava
- धर्म और संस्कृति
शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन: माता कूष्मांडा का महत्व
शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन की पूजा माता कूष्मांडा को समर्पित होती है। यह दिन एक विशेष आध्यात्मिक उर्जा से प्रभावित होता है, क्योंकि माता कूष्मांडा को मानव जीवन में सकारात्मकता और सृजन की देवी माना जाता है। माना जाता है कि जब कुछ भी अस्तित्व में नहीं था तब माता ने अपनी भीषण मुस्कान से इस जटिल ब्रह्मांड का निर्माण किया। माता कूष्मांडा का स्वरूप और ऊर्जा हमारे जीवन में आशा और उत्थान के नए द्वार खोल देती है।
जो भी भक्त माता की पूजा सच्चे मन से करते हैं, उन्हें समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। ऐसा कहा जाता है कि उनकी कृपा से घर में समृद्धि और स्थिरता आती है। इस दिन को भक्त बड़ी धूमधाम से मनाते हैं और इसे विशेष रूप से ध्यान और मंत्रों के माध्यम से समझने और महसूस करने का प्रयास करते हैं।
नारंगी रंग का प्रसाद और भोग
माता कूष्मांडा के चरणों में नारंगी रंग के प्रसाद और भोग को समर्पित करना शुभ माना जाता है। यह रंग एनर्जी, शक्ति और खुशियों का प्रतीक है। भक्त अपने घरों में इस दिन विशेष पूजा का आयोजन करते हैं और माता कूष्मांडा को प्रसाद स्वरूप फल, खीर, और नारंगी रंग की मिठाइयाँ चढ़ाते हैं। इनमें से एक प्रमुख मिठाई रवा केसरी होती है, जिसे इस दिन अमूमन प्रसाद के रूप में बनाया जाता है।
रवा केसरी की रेसिपी
रवा केसरी एक सरल और अत्यंत स्वादिष्ट मिठाई है, जिसे विशेष रूप से नवरात्रि के चौथे दिन बनाया जाता है। यह मिठाई नारंगी रंग की होती है जो माता कूष्मांडा को अर्पित की जाती है।
आवश्यक सामग्री:
- सूजी: 1 कप
- केसर: एक चुटकी
- दूध: 2 कप
- चीनी: 1 कप
- घी: 3 से 4 चम्मच
- ड्राई फ्रूट्स (काजू, बादाम): स्वादानुसार
- इलायची पाउडर: 1 चम्मच
रवा केसरी बनाने की विधि अत्यंत सरल है। सबसे पहले केसर को दूध में भिगो दें। इसके बाद एक कढ़ाई में घी गर्म करें और उसमें सूजी डालकर हल्का भूरा होने तक भून लें। अब भुनी हुई सूजी में दूध और चीनी मिलाए। इसे धीरे-धीरे मिलाते हुए पकाएं। जब सूजी दूध को अच्छे से अवशोषित कर ले तब इसमें केसर वाला दूध, ड्राई फ्रूट्स, और इलायची पाउडर डालें। इसे अच्छे से मिलाकर कुछ देर और पकने दें। जब तक रवा केसरी का मिश्रण घनी पीली नारंगी रंग का ना हो जाए।
आखिर में रवा केसरी को एक केले के पत्ते पर सजाएं और भोग के रूप में माता कूष्मांडा के चरणों में अर्पित करें। रवा केसरी का अद्भुत स्वाद और सुगंध भक्तों को दिव्यता का अनुभव कराता है। यह दिन विशेष होता है और हर भक्त इसे खास बनाने के लिए पूरे मनोयोग से प्रयास करता है। इसके अलावा मालपुआ, बूंदी लड्डू, या अन्य नारंगी रंग की मिठाइयाँ भी माता को अर्पित की जा सकती हैं।
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