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ब्रोकरेज क्या है और क्यों मायने रखता है?

ब्रोकरेज वह शुल्क है जो आप ब्रोकरेज फर्म को देते हैं जब आप शेयर, फ्यूचर्स या ऑप्शंस खरीदते या बेचते हैं। ये छोटी-छोटी फीसें लगती हैं, पर समय के साथ आपकी रिटर्न पर बड़ा असर कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपने IPO के बाद Hexaware जैसी शेयर में जल्दी-जल्दी ट्रेड किए, तो ऊँची ब्रोकरेज से आपके मुनाफे का बड़ा हिस्सा कट सकता है।

ब्रोकरेज कैसे लगाया जाता है?

ब्रोकरेज चार तरह से लिया जा सकता है — प्रतिशत पर आधारित, प्रति ट्रेड फ्लैट रेट, टियर-आधारित या मुफ्त (कुछ शर्तों पर)।

1) प्रतिशत (Per cent of trade): अगर ब्रोकरेज 0.03% है और आप ₹1,00,000 का ट्रेड करते हैं तो ब्रोकरेज ₹30 बनेगा।

2) फ्लैट रेट (Flat per trade): कुछ डिस्काउंट ब्रोकर प्रति ट्रेड ₹20 चार्ज करते हैं, छोटे-ट्रेडर्स के लिए यह फायदेमंद होता है।

3) टियर/सब्सक्रिप्शन मॉडल: भारी ट्रेडर के लिए कुछ ब्रोकर महीने या साल के सब्सक्रिप्शन पर सस्ता रेट देते हैं।

ध्यान दें: ब्रोकरेज के अलावा STT, SEBI शुल्क, एक्सचेंज चार्जेस, GST और स्टाम्प ड्यूटी भी लगती है — इन्हें भूलना गलत होगा।

ब्रोकरेज कम करने के व्यावहारिक तरीके

1) अपने ट्रेडिंग पैटर्न देखें: अगर आप कम फ्रीक्वेंसी से खरीदते हैं तो फ्लैट-फीस वाला ब्रोकरेज बेहतर रहता है। रोज़-रोज़ ट्रेड करते हैं तो डिस्काउंट ब्रोकरेजर का सब्सक्रिप्शन लें।

2) ऑर्डर साइज बढ़ाएँ: छोटी-छोटी खरीद-बिक्री पर प्रतिशत मॉडल महंगा पड़ता है। बड़े आकार के ऑर्डर पर प्रति-रु की लागत कम हो जाती है।

3) छुपी हुई फीस देखें: डेमाॅट चार्ज, इनवेस्टर हेल्पलाइन फीस, क्लियरिंग फीस इत्यादि जाँच लें। कभी-कभी ब्रोकरेजर का प्रचार कम लेने का कहता है पर अन्य चार्ज ज्यादा लेते हैं।

4) मैर्जिन और लीवरेज समझें: ज्यादा लीवरेज लेने से ब्रोकरेज तो कम दिखे लेकिन अगर square-off जल्दी होता है तो नुकसान हो सकता है।

5) लंबी अवधि के निवेश पर डिस्काउंट ब्रोकरेजर चुनें: अगर आप Ashok Leyland या Inox Wind जैसे शेयर को होल्ड करते हैं तो कम ट्रेडिंग से ब्रोकरेज का असर कम होगा।

छोटी-मोटी गणना: मान लीजिए आपके पास ₹50,000 का ट्रेड। अगर ब्रोकरेज 0.03% है तो खर्च ₹15 होगा; वहीं फ्लैट ₹20 में फर्क कम है। पर 10 बार ट्रेड करने पर प्रतिशत मॉडल महँगा पड़ सकता है।

अंत में: सही ब्रोकरेजर चुनने के लिए अपनी ट्रेडिंग फ्रीक्वेंसी, अनुमानित ऑर्डर साइज़ और दिए जाने वाले सर्विस (रिसर्च, IPO एलॉटमेंट, कस्टमर सपोर्ट) को मिलाकर निर्णय लें। ब्रोकरेज छोटा लगे, पर कुल लागत (टैक्स+फीस) पर ध्यान दें — यही असली बचत है।

सुझलॉन एनर्जी के शेयर दबाव में Q4 परिणामों के बाद; ब्रोकरेज ने लक्ष्य कीमत बढ़ाकर रु 54 किया
  • 27 मई 2024
  • Himanshu Kumar
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सुझलॉन एनर्जी के शेयर दबाव में Q4 परिणामों के बाद; ब्रोकरेज ने लक्ष्य कीमत बढ़ाकर रु 54 किया

सुझलॉन एनर्जी के शेयर Q4 नतीजों के बाद दबाव में हैं, लेकिन ब्रोकरेज फर्म्स ने स्टॉक पर विश्वास बनाते हुए लक्ष्य कीमत बढ़ाकर रु 54 किया है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज और जेएम फाइनेंशियल ने स्टॉक को 'खरीदें' रेटिंग दी है।

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