- 17 जुल॰ 2024
- के द्वारा प्रकाशित किया गया Daksh Bhargava
- राष्ट्रीय समाचार
सरकार ने बांग्लादेश की यूनिवर्सिटीज को बंद करने का आग्रह किया
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली को लेकर छिड़े हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद सरकार ने सभी यूनिवर्सिटीज़ को बंद करने का अनुरोध किया है। इन हिंसक विरोध प्रदर्शनों में अब तक कम से कम छह लोगों की मौत हो चुकी है। यह प्रदर्शन पिछले महीने शुरू हुए थे, जब प्रदर्शनकारियों ने सरकारी नौकरियों में 30% कोटा को समाप्त करने की मांग की।
कोटा प्रणाली का विवाद
गौरतलब है कि 30% सरकारी नौकरियों का कोटा बांग्लादेश की स्वतंत्रता संग्राम के योद्धाओं के परिजनों के लिए आरक्षित है। यह कोटा प्रणाली वर्ष 2018 में एक अदालत के आदेश से अस्थायी रूप से बंद कर दी गई थी, लेकिन पिछले महीने इसे फिर से बहाल कर दिया गया, जिससे देशभर में विरोध प्रदर्शन भड़क उठे।
धाका विश्वविद्यालय में हिंसा
सोमवार को विरोध प्रदर्शनों ने तब और भीषण रूप ले लिया जब प्रदर्शनकारियों की भिड़ंत विरोधी समूहों और पुलिस से हो गई। इस हिंसक संघर्ष में धाका विश्वविद्यालय परिसर सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ, जहां 100 लोग घायल भी हो गए। इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सभी सार्वजनिक और निजी यूनिवर्सिटीज़ को अगली सूचना तक कक्षाएं स्थगित करने और हॉस्टल खाली करने का निर्देश दिया है।
प्रधानमंत्री शेख हसीना का बयान
इस बीच, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस कोटा प्रणाली का बचाव किया है। उनका कहना है कि 1971 के स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले योद्धाओं के परिजनों को सर्वोच्च सम्मान मिलना चाहिए। हसीना का कहना है कि इन योद्धाओं ने देश के लिए अपना जीवन न्यौछावर किया है और उन्हें यह सम्मान देना हमारा कर्तव्य है।
विरोध प्रदर्शनों का विस्तार
प्रदर्शनों की यह आग सिर्फ धाका तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह चट्टोग्राम तथा रंगपुर जैसे अन्य बड़े शहरों में भी देखी गई। छात्र, समाजसेवी और कई अन्य संस्थाएं सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर आई हैं। उन्होंने सरकार के इस निर्णय के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त की है, और इसे अन्यायपूर्ण बताया है।
बढ़ती अशांति
वर्तमान स्थिति को देखते हुए, देश में गहरी अशांति फैल गई है। विरोध-प्रदर्शनों में बढ़ता तनाव और सुरक्षा की चिंताओं के मद्देनजर, सरकार ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। उनका कहना है कि इस मुद्दे का समाधान शांतिपूर्ण बातचीत के द्वारा निकाला जा सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया
बांग्लादेश में चल रहे इस संघर्ष पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भी नजर है। कई मानवाधिकार संगठनों ने बांग्लादेश सरकार से अपील की है कि वह बल प्रयोग के बजाय समस्या का समाधान लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीकों से खोजे।
आगामी कदम
अब देखना यह होगा कि सरकार और प्रदर्शनकारी के बीच इस समस्या का समाधान कैसे निकाला जाता है। वर्तमान समय में, सरकार प्रदर्शनकारियों की मांगों को कबूल करने में हिचकिचा रही है, जबकि प्रदर्शनकारी अपने स्थान पर दृढ़ हैं। दोनों पक्षों के बीच संवाद और समझौते की आवश्यकता है ताकि देश में हालात सामान्य हो सके।
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