- 17 जून 2024
- Himanshu Kumar
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गौतम गंभीर होंगे नए भारतीय कोच: राहुल द्रविड़ की जगह लेंगे जून के अंत तक
भारतीय क्रिकेट में एक बड़ा परिवर्तन होने जा रहा है, जिसमें पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर को नया मुख्य कोच नियुक्त किया जा सकता है। मौजूदा कोच राहुल द्रविड़ टी20 विश्व कप 2024 के समाप्त होने के बाद इस पद से इस्तीफा देने वाले हैं। यह खबर क्रिकेट प्रशंसकों में काफी चर्चित हो गई है, और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने गंभीर को नया कोच बनाने का संभावित निर्णय ले लिया है।
गंभीर की कोचिंग पद की यात्रा
हालांकि गंभीर के पास कोचिंग का कोई प्रत्यक्ष अनुभव नहीं है, लेकिन उन्होंने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में मेंटर की भूमिका निभाई है। गंभीर ने कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) को आईपीएल टाइटल जिताया था और लखनऊ सुपर जायंट्स (एलएसजी) के साथ मेंटर के रूप में दो सत्र बिताए, जिसमें टीम दोनों ही बार प्लेऑफ में पहुँची।
गंभीर ने भारतीय टीम के कोच पद की जिम्मेदारी ग्रहण करने की इच्छा व्यक्त की है। उनका कहना है कि यह एक बड़ा सम्मान होगा कि वे 140 करोड़ भारतीयों और दुनिया भर के प्रशंसकों का प्रतिनिधित्व कर सकें। गंभीर ने कहा, "टीम के साथ काम करना और खिलाड़ियों के साथ उनके सपनों को साकार करना मेरी प्राथमिकता होगी।"
राहुल द्रविड़: एक शानदार करियर
राहुल द्रविड़ ने नवंबर 2021 से भारतीय टीम के मुख्य कोच के रूप में कार्य किया है और उन्होंने टीम को विभिन्न मुकाबलों में मार्गदर्शित किया है। उनकी कोचिंग में, भारतीय टीम ने कई महत्वपूर्ण जीत हासिल की हैं। द्रविड़ ने हमेशा ही टीम की प्रगति के लिए जोर दिया है, और उनका योगदान असीम रहा है।
द्रविड़ ने अपनी भूमिका के बारे में कहा है कि उनके लिए यह एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी, और उन्होंने इस चुनौती को पूरी ताकत और धैर्य के साथ निभाया। टी20 विश्व कप 2024 के बाद, वे इस पद से इस्तीफा देने वाले हैं, जिससे भारतीय टीम को एक नया नेतृत्वकर्ता मिलेगा।
बीसीसीआई का फैसला
बीसीसीआई ने गंभीर को नया कोच नियुक्त करने का निर्णय लिया है। गंभीर को उनके समर्थन स्टाफ चुनने की स्वतंत्रता भी दी गई है, जिसमें बल्लेबाजी कोच, गेंदबाजी कोच और फील्डिंग कोच शामिल होंगे। मौजूदा कोचिंग स्टाफ में विक्रम राठौर बल्लेबाजी कोच, परास म्हम्ब्रे गेंदबाजी कोच और टी दिलीप फील्डिंग कोच की भूमिका निभा रहे हैं।
बीसीसीआई ने इस बदलाव के पीछे का कारण बताते हुए कहा है कि टीम को नई ऊर्जा और सोच की जरूरत है। गंभीर का काम करने का तरीका और उनकी नेतृत्व क्षमता इस भूमिका के लिए उपयुक्त मानी गई है।
क्रिकेट प्रेमियों की प्रतिक्रियाएं
क्रिकेट प्रेमियों के बीच इस खबर को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। गंभीर के प्रशंसक इस फैसले से बेहद खुश हैं और उन्हें विश्वास है कि गंभीर भारतीय टीम को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। वहीं, कुछ लोग इस बदलाव को अनावश्यक मान रहे हैं और द्रविड़ की सेवाओं की सराहना कर रहे हैं।
लेकिन एक बात तय है कि गौतम गंभीर जैसे अनुभवी खिलाड़ी का नेतृत्व भारतीय क्रिकेट में नई दिशा और दृष्टिकोण ला सकता है। भारतीय क्रिकेट टीम के लिए यह एक नया अध्याय होगा, जिसमें नए सपनों और नई उम्मीदों का संचार होगा। अब देखना यह होगा कि गंभीर अपनी नई भूमिका में कितनी कुशलता से काम कर पाते हैं और टीम को कितनी ऊंचाइयों तक ले जाने में सक्षम होते हैं।
अनुभवी कोचों की अनदेखी
गंभीर के नाम के प्रस्ताव से पहले, ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के दिग्गज रिकी पोंटिंग और जस्टिन लैंगर को भी इस पद के लिए संभावित उम्मीदवार माना जा रहा था। लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने इस पद के लिए कभी आवेदन नहीं किया।
अब भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों और विशेषज्ञों की नजरें इस पर टिकी हैं कि गंभीर अपनी नई जिम्मेदारी के साथ किस प्रकार संतुलन बनाएंगे और टीम को सफलताएं दिलाएंगे।
भारतीय क्रिकेट के इस नए दौर का सभी को बेसब्री से इंतजार है और उम्मीद है कि गौतम गंभीर के नेतृत्व में टीम नए मुकाम हासिल करेगी।
8 टिप्पणि
गौतम गंभीर को बिना कोचिंग अनुभव के कोच बनाना पूरी तरह से बेवकूफ़ी है।
क्रिकेट की दुनिया में बदलाव हमेशा अपेक्षित होते हैं, परन्तु उनका मूल्यांकन तथ्यात्मक होना चाहिए।
गौतम गंभीर ने खिलाड़ी के रूप में कई बार अपनी प्रतिभा दिखाई, पर कोचिंग के लिए वह एक अलग आभास देते हैं।
उनका आईपीएल में मेंटर शिप अनुभव निश्चित ही मायने रखता है, लेकिन यह मुख्य कोच की पूरी ज़िम्मेदारी नहीं हो सकता।
एक कोच को रणनीतिक दृष्टिकोण, विश्लेषणात्मक क्षमता और खिलाड़ियों की मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल करनी होती है।
ये गुण केवल मैदान पर प्रदर्शन से नहीं, बल्कि वर्षों के प्रशिक्षण से विकसित होते हैं।
द्रविड़ ने पिछले वर्षों में टीम को एक स्पष्ट दिशा दी, जिसके कारण भारत ने कई महत्त्वपूर्ण जीतें हासिल कीं।
गंभीर की नई भूमिका को देखते हुए हमें यह पूछना चाहिए कि क्या वह इस दिशा को आगे बढ़ा पाएँगे।
यदि वह अपने पूर्व अनुभवों को कोचिंग सिद्धांतों में परिवर्तित कर सके तो यह एक सकारात्मक कदम हो सकता है।
परन्तु अगर वह केवल स्टार पॉवर की बजाय तंत्रिकीय संरचना में गहराई से नहीं उतरते, तो टीम को निराशा झेलनी पड़ सकती है।
भारतीय क्रिकेट के प्रशंसक अक्सर भावनात्मक होते हैं, परन्तु हमें तर्कसंगत भी रहना चाहिए।
इतिहास ने दिखाया है कि कई महान खिलाड़ी कोच बन नहीं पाए, जबकि कुछ अनजाने लोग उत्कृष्ट कोच बन गए।
इसलिए चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और विशेषज्ञों की राय महत्वपूर्ण है।
बीसीसीआई को गंभीर को पूरी स्वायत्तता देना चाहिए, परन्तु साथ ही एक मजबूत स्टाफ भी रखना चाहिए।
अंततः समय ही बताएगा कि यह निर्णय टीम के प्रदर्शन में कैसे प्रतिबिंबित होता है।
इस बदलाव को खुले दिमाग से देखना चाहिए, न कि केवल पूर्वधारणा के आधार पर नकारात्मकता में डूबना चाहिए।
गौतम गंभीर ने आईपीएल में कई बार टीम को प्लेऑफ़ तक पहुँचाया, यह उनके नेतृत्व का प्रमाण है।
कोचिंग का सीधा अनुभव नहीं है, परन्तु खिलाड़ी की मनोवैज्ञानिक समझ में उनका फायदा हो सकता है।
भारत की टीम को नई ऊर्जा की जरूरत है और गंभीर इस दिशा में सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं।
आशा है कि टीम के प्रदर्शन में यह परिवर्तन साफ़ अंतर लाएगा।
ओह, बिल्कुल, क्योंकि हर शानदार खिलाड़ी खुद ही बेहतरीन कोच बन जाता है।
बिल्कुल, अब तो भारत के लिए कोई समस्या नहीं रहेगी।
आपके विचार अत्यंत सम्यक हैं, और यह सही है कि कोचिंग में विस्तृत तैयारी आवश्यक है।
गौतम गंभीर को एक व्यापक समर्थन टीम प्रदान की जाए तो उनका प्रभाव बढ़ सकता है।
साथ ही, चयन प्रक्रिया में विशेषज्ञों की राय को शामिल करना निष्पक्षता सुनिश्चित करेगा।
टीम की रणनीति, बॉलिंग और बैटिंग विभागों में संतुलन बनाना कोच की प्राथमिकता होनी चाहिए।
उम्मीद है कि भविष्य में हम इस बदलाव के सकारात्मक परिणाम देखेंगे।
गंभीर ने कोचिंग स्टाफ के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई है, और वे पाँच विशेषज्ञ को नियुक्त करने की योजना बना रहे हैं।
ऐसा सहयोगी ढांचा टीम को संतुलित दृष्टिकोण देगा।
हम अब देखते हैं कि यह नया ढांचा किस हद तक प्रभावी सिद्ध होता है।
देश की शान को संभालने वाला कोच तभी होना चाहिए जो भारतीय परंपरा और गर्व को समझे, इसलिए मैं गौतम गंभीर को पूरी तरह से समर्थन देता हूँ।
हमारी टीम को विदेशी कोच की जरूरत नहीं, हमें अपने ही हीरो को मौका देना चाहिए।
अगर इस दिशा में सही कदम उठाया गया तो भारत फिर से विश्व मंच पर राज करेगा।
गंभीर की नियुक्ति को राष्ट्रीय भावना के साथ देखना स्वाभाविक है, परन्तु साथ ही टीम की तकनीकी जरूरतों को भी समझना ज़रूरी है।
एक संतुलित दृष्टिकोण हमें दीर्घकालिक सफलता दिला सकता है।
आइए हम सब मिलकर इस बदलाव को सकारात्मक रूप से अपनाएँ।