- 9 नव॰ 2024
- के द्वारा प्रकाशित किया गया Daksh Bhargava
- व्यापार
फ्रेशवर्क्स की छंटनी: सुविधा या लालच?
हाल ही में, फ्रेशवर्क्स कंपनी ने अपने कर्मचारियों की छंटनी का निर्णय लेते हुए लगभग 660 कर्मचारियों को प्रभावित किया है। यह निर्णय कंपनी की अपनी कार्यक्षमता को सुधारने और संचालन की सुविधा के लिए लिया गया है। कंपनी का यह कदम उस समय आया, जब उसने $400 मिलियन का स्टॉक बायबैक प्रोग्राम भी लॉन्च किया। इस फैसले पर ज़ोहो के संस्थापक श्रीधर वेंबू ने कड़ी आलोचना की है, क्योंकि उनके मुताबिक यह "नग्न लालच" के अलावा और कुछ नहीं है। वेंबू का कहना है कि एक ऐसी कंपनी, जोमजबूत वित्तीय परिणाम दिखा रही है और जिसकी नकद राशि काफी है, फिर भी कर्मचारियों की छंटनी करना, उसके कॉर्पोरेट संस्कृति को उजागर करता है, जहाँ कर्मचारियों की भलाई के बजाय शेयरधारकों का मुनाफा प्राथमिकता में है।
कैसे कॉर्पोरेट संस्कृति पर सवाल उठाती है छंटनी?
फ्रेशवर्क्स ने 22% की वृद्धि के साथ $186.6 मिलियन के राजस्व की रिपोर्ट की है, जो उनके द्वारा अनुमानित लाभ को भी पार करता है। इस मजबूती के बावजूद कर्मचारियों की छंटनी का निर्णय और भी अधिक सवालों को उठाता है। श्रीधर वेंबू का यह तर्क है कि एक यथार्थवादी कैपिटलिज़्म दृष्टिकोण को अपनाकर कॉर्पोरेट्स को अपने कर्मचारियों के साथ दीर्घकालिक संबंध बना कर रखना चाहिए। उन्होंने प्रौद्योगिकी उद्योग पर भी आलोचना की, विशेष रूप से अमेरिका में, जहां अल्पकालिक वित्तीय लाभ को कर्मचारी निष्ठा के ऊपर रखा जाता है, और इसे अब भारत में भी आयात किया जा रहा है।
दीर्घकालिक विकास पर केंद्रित ज़ोहो का दृष्टिकोण
वेंबू का जोर है कि कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाए और इस दृष्टिकोण से कंपनियां दीर्घकालिक रूप से सफल हो सकती हैं। ज़ोहो कंपनी, जो एक निजी इकाई के रूप में कार्य करती है, ने कर्मचारियों और ग्राहकों के साथ दीर्घकालिक रिश्तों को स्थापित करने की नीति अपनाई है। उन्होंने फ्रेशवर्क्स जैसे कंपनियों की आलोचना की, जो जल्दबाज़ी में वित्तीय फायदे के लिए कर्मचारियों की छंटनी करते हैं। उनका मानना है कि नवाचार, नए व्यवसाय के क्षेत्रों की खोज या नए अवसर को अपनाकर कर्मचारियों को बनाए रखना एक अधिक मानवीय और स्थायी उपाय हो सकता है।
नई दिशा की आवश्यकता: ईमानदार व्यापारिक प्रथाएँ
श्रीधर वेंबू की आलोचना व्यापार जगत में नैतिक व्यवसायिक प्रथाओं की ओर ध्यान दिलाने की कोशिश करती है। वे जोर देते हैं कि कंपनियों को अपने मूल संसाधन पर ध्यान देना चाहिए: उनके लोग। उनकी आलोचना एक समृद्धि तक पहुँचने के लिए केवल मिटाए जाने की नीति पर नहीं, बल्कि अपने कर्मचारियों के योगदान को समझने पर जोर देती है। जैसे कि कंपनियां जैसे NVidia और AMD, जिन्होंने लंबे समय तक काबिलियत और प्रतिभा को बनाए रखा और उसी के बल पर बाजार में अग्रणी बनी रही।
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