
- 27 सित॰ 2025
- Himanshu Kumar
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24 सितम्बर 2025 को भारतीय बाजार ने फिर से गिरावट की लहर देखी। Sensex में 386 अंक की गिरावट दर्ज हुई, जबकि Nifty 25,056 पर बंद हुआ, जो मनोवैज्ञानिक 25,100 के निशान से नीचे गिर गया। यह चौथा लगातार गिरता दिन था, और दालाल स्ट्रीट में बेचैन माहौल साफ दिख रहा था।
बाजार में दबाव के मुख्य कारण
विश्लेषकों का मानना है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की लगातार बिक्री ही इस गिरावट का मुख्य कारण है। नकद बाजार के आंकड़े बताते हैं कि 24 सितम्बर को FIIs ने लगभग 2,400 करोड़ रुपये बेचें, 23 सितम्बर को 3,500 करोड़ और 21 सितम्बर को 2,900 करोड़ रुपये की बिक्री की। ये निरंतर आउटफ़्लो सभी सेक्टरों पर समान रूप से असर डालने लगे।
एक और महत्वपूर्ण संकेत यह रहा कि अधिकांश दिन दोपहर 2:30 बजे के आसपास बिक्री तेज़ हो जाती है। इस समय संस्थागत ट्रेडिंग की सक्रियता बढ़ जाती है, जिससे बाजार में अचानक कमजोरी आती है। पिछले हफ्ते की कई सत्रों में इसी टाइम पर बड़े पैमाने पर बेचवाली ने कीमतों को नीचे धकेल दिया।
US H‑1B वीज़ा नीति में अस्थिरता भी आई है। अमेरिकी इमीग्रेशन नियमों में बदलाव का शंकास्पद असर भारतीय IT कंपनियों पर पड़ रहा है, क्योंकि कई फर्में अमेरिकी बाज़ार में कार्यरत भारतीय प्रोग्रामरों पर बड़ी निर्भरता रखती हैं। तकनीकी स्टॉक्स, जो Sensex और Nifty में भारी हिस्सेदारी रखते हैं, विशेष तौर पर जोखिम में दिखे।

सेक्टर‑वाइज़ प्रभाव और आगे की राह
किसी एक सेक्टर को अलग‑अलग देखना मुश्किल है, क्योंकि गिरावट व्यापक थी। फिर भी कुछ क्षेत्रों में प्रभाव अधिक स्पष्ट रहा:
- टेक्नोलॉजी – H‑1B की अनिश्चितता से बड़े बुलिंग और बेयरिंग दोनों ही माहौल में उतार‑चढ़ाव दिखा।
- फाइनेंस – विदेशी फंडों की निकासी से बैंकिंग और एनएफटी का दबाव बढ़ा।
- ऑटो – हाई‑ऑक्टेन डिमांड के बावजूद निर्यात में गिरावट ने मुल्य में कमी लाई।
- रियल एस्टेट – निवेशक जोखिम से बचते हुए एसेट्स को हॉल्ड कर रहे हैं।
इसी दौरान क्रिप्टो बाजार भी समान जोखिम‑ऑफ़ भावना की वजह से दबाव में रहा। पिछले रैली के दौरान लीवरेज पर ली गई पोजीशनें डिफ़ॉल्ट हो गईं, जिससे बड़ी मात्रा में लिक्विडेशन हुआ। यह संकेत देता है कि शेयर बाजार की गिरावट की लहर वित्तीय उपकरणों के व्यापक हिस्से को प्रभावित कर रही है।
वॉल्यूम में वृद्धि भी स्पष्ट है। ट्रेडिंग वॉल्यूम उच्च स्तर पर रहता है, क्योंकि निवेशक लगातार पोर्टफोलियो को रिव्यू कर रहे हैं और जोखिम को फिर से आंक रहे हैं। इस माहौल में खुदरा निवेशकों की चिंता भी बढ़ी है; कई लोग स्टॉक्स को बेचकर नकदी में बदलने की सोच रहे हैं।
भविष्य की संभावनाओं को लेकर कुछ विशेषज्ञ आशावादी रह रहे हैं। वे कहते हैं कि इस तरह का व्यापक सुधार कुछ मजबूत बुनियादी कंपनियों में खरीदारी के अवसर पैदा कर सकता है। यदि कोई स्टॉक अत्यधिक दबाव में है, लेकिन उसके फंडामेंटल्स मजबूत हैं, तो दीर्घकालिक निवेशकों को यहां एंट्री का विचार करना चाहिए। परंतु, वर्तमान में बाजार का मूड सावधानीशील है, क्योंकि सभी आँखें नीति स्पष्टता और विदेशी फंड फ्लो में स्थिरता की ओर देख रही हैं।
संक्षेप में, दालाल स्ट्रीट आज के स्थिर ना रहने वाले माहौल को झेल रहा है। निरंतर FIIs की बिक्री, US इमीग्रेशन नीति में उलटफेर, और सेक्टर‑वाइड दबाव सभी मिलकर एक कठिन रास्ता बनाते दिख रहे हैं। निवेशकों को चाहिए कि वे अपने पोर्टफोलियो को विविधीकृत रखें, जोखिम को मापें और धीरे‑धीरे बाजार की दिशा का इंतज़ार करें।