झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमीन घोटाला मामले में जमानत मिलने के बाद रांची की बिरसा मुंडा जेल से रिहा किया गया। उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा गिरफ्तार किया गया था। जेल के बाहर सैकड़ों समर्थक उनकी स्वागत करने पहुंचे।
जमानत (बेल) का मतलब है कि आरोपी को अदालत या पुलिस ने अस्थायी तौर पर रिहा कर दिया है ताकि वह जांच या सुनवाई के दौरान घर पर रहे। जमानत हर मामले में नहीं मिलती—कठोर और संवेदनशील मामलों में कोर्ट जमानत देने से इनकार कर सकती है। पर आम तौर पर गैर-गंभीर अपराध, प्रक्रिया के दौरान सहयोग या मेडिकल कारणों पर जमानत मिल जाती है।
एक हालिया उदाहरण में समाजवादी नेता अब्दुल्ला आजम खान 17 महीने बाद जेल से रिहा हुए क्योंकि उन्हें 2020 के किस्से में जमानत मिल गई थी। इस तरह के केस दिखाते हैं कि जमानत से रिहाई कैसे और कब हो सकती है।
मुख्यतः दो तरह की जमानत होती है: सामान्य जमानत और अग्रिम (anticipatory) जमानत। सामान्य जमानत तब मिलती है जब आरोपी गिरफ्तारी के बाद या चार्जशीट के बाद अदालत में अप्लाई करता है। अग्रिम जमानत उस स्थिति में ली जाती है जब किसी को डर होता है कि उसके खिलाफ गिरफ्तारी हो सकती है—यह पहले से कोर्ट में मांगी जाती है।
इसके अलावा पुलिस रिमांड और न्यायिक हिरासत में फर्क समझना जरूरी है। पुलिस हिरासत में रहते हुए जमानत पाने पर शर्तें कड़ी हो सकती हैं जैसे कि हाजिरी, पासपोर्ट जमा करना, या गरंटी/सिक्योरिटी देना।
1) वकील से बात करें: केस का प्रकृति और संभावनाएं जानने के लिए त्वरित वकील सलाह लें।
2) दस्तावेज तैयार करें: पहचान पत्र, पता प्रमाण, ज़मानतदार की जानकारी और संपत्ति या बैंक का सबूत अगर सिक्योरिटी चाहिए।
3) फॉर्मल आवेदन: गिरफ्तारी के बाद अदालत में बांड और जमानत आवेदन दायर किया जाता है। अग्रिम जमानत के लिए विशेष आवेदन लिखा जाता है।
4) हलफ़नामा और गारंटी: जमानतदार या पर्सनल बांड की शर्तें पूरी करें—कई बार व्यक्ति या संपत्ति गारंटी के रूप में रखनी पड़ती है।
5) शर्तें पालन करें: जमानत मिलने के बाद भी कोर्ट की शर्तों का पालन अनिवार्य है—जैसे सुनवाई में हाज़िर होना और निषेधाज्ञाओं का पालन। शर्तें न मानीं तो जमानत रद्द हो सकती है।
अगर जमानत अस्वीकार हो जाए तो हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू/अपीली विकल्प मौजूद हैं। पर वे प्रक्रिया लंबी हो सकती है, इसलिए पहले से मजबूत दलीलें तैयार रखें।
अंत में, हर केस अलग होता है। इसलिए तुरंत कदम उठाएं—पुलिस स्टेशन में राइट्स जानें, वकील से सलाह लें और जरूरी दस्तावेज तैयार रखें। जमानत एक कानूनी अधिकार हो सकता है, पर उसे पाने के लिए सही तैयारी जरूरी है।
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमीन घोटाला मामले में जमानत मिलने के बाद रांची की बिरसा मुंडा जेल से रिहा किया गया। उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा गिरफ्तार किया गया था। जेल के बाहर सैकड़ों समर्थक उनकी स्वागत करने पहुंचे।