- 30 जुल॰ 2024
- के द्वारा प्रकाशित किया गया Daksh Bhargava
- पर्यावरण
भूस्खलन: कारण, प्रभाव और रोकथाम
भूस्खलन, जिसे प्राकृतिक आपदा की श्रेणी में रखा जाता है, पृथ्वी की सतह के भारी खिसकाव का परिणाम है। गुरुत्वाकर्षण बल के कारण चट्टानें, मिट्टी और अन्य मलबे नीचे की ओर बहने लगते हैं। यह प्रक्रिया अचानक हो सकती है और इसके परिणामस्वरूप व्यापक विनाश, जीवन की हानि और लोगों के विस्थापन का कारण बन सकती है। विविध कारणों से जैसे भारी वर्षा, भूकंप, ज्वालामुखीय विस्फोट, और यहाँ तक कि मानवीय गतिविधियाँ भी भूस्खलन का कारण बनती हैं।
भूस्खलन के मुख्य कारण
भूस्खलन के कई कारण हो सकते हैं:
- भारी वर्षा: लगातार और भारी वर्षा के कारण जमीन की स्थिरता कम हो जाती है और मिट्टी धीरे-धीरे खिसकने लगती है।
- भूकंप: भूकंप की गतिविधियों से जमीन हिल जाती है, जिससे पहाड़ी इलाकों में चट्टानें और मिट्टी खिसकने लगती है।
- ज्वालामुखीय विस्फोट: आग्नेय प्रक्रिया के दौरान ज्वालामुखी विस्फोट से निकला भारी मात्रा में सामग्री भी नीचे खिसक सकती है।
- मानवीय गतिविधियाँ: अवैध खनन, अंधाधुंध पेड़ों की कटाई, और अस्थिर सतहों पर सड़कों और इमारतों का निर्माण भी भूस्खलन के कारण बन सकते हैं।
वायनाड में भूस्खलन का प्रभाव
केरल का वायनाड जिला अपनी खूबसूरत पहाड़ियों और उच्च वर्षा स्तर के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन यह वही विशेषताएँ इसे भूस्खलन के प्रति संवेदनशील बनाती हैं। उदाहरण के लिए, 2019 में वायनाड में भारी भूस्खलन हुआ था, जिसमें 60 से ज्यादा लोग मारे गए और कई बेघर हो गए। वहाँ की पहाड़ी इलाका और गीली मिट्टी ने इस आपदा को और विनाशकारी बना दिया।
इस क्षेत्र में भूस्खलन के पीछे कई कारण बताते गए हैं, जिनमें मुख्य रूप से अवैध खनन, अंधाधुंध पेड़ों की कटाई और अस्थिर सतहों पर निर्माण गतिविधियाँ शामिल हैं। पहाड़ियों का अंधाधुंध कटाव और वन-क्षेत्र की कमी से जमीन की स्थिरता पर बुरा असर पड़ता है।
भूस्खलनों से सुरक्षा के उपाय
भूस्खलन को रोकने के लिए आवश्यक है कि कुछ ठोस कदम उठाए जाएं। उनमें से कुछ निम्नलिखित प्रकार से हो सकते हैं:
- पुनरोपण और जंगलों का संरक्षण: पेड़ों की कटाई की बजाय अधिक पेड़ लगाना और जंगलों का संरक्षण करना आवश्यक है।
- मिट्टी की स्थिरता बनाए रखना: मिट्टी की स्थिरता को बढ़ाने के लिए स्थानिक तकनीकियों का उपयोग करना जैसे कि रिटेनिंग दीवारों का निर्माण।
- सख्त निर्माण कोड: अस्थिर सतहों पर निर्माण कार्य न करने के लिए सख्त निर्माण कोड लागू करना आवश्यक है।
- प्रारंभिक चेतावनी व्यवस्था: प्रारंभिक चेतावनी सिस्टम और आपातकालीन तैयारी योजनाओं को लागू करना चाहिए ताकि नुकसान को कम किया जा सके।
सतत विकास और सामुदायिक सहभागिता
भूस्खलन के प्रभाव को कम करने के लिए सतत विकास के सिद्धांतों का पालन करना आवश्यक है।
विशेषज्ञ यह मानते हैं कि इस खतरे को कम करने के लिए स्थानीय समुदाय की भागीदारी अनिवार्य है। इस संबंध में स्थानीय समुदाय को जागरूक बनाना और उन्हें संबंधित प्रशिक्षण देना बहुत महत्वपूर्ण है। यह सामुदायिक सहभागिता सतत विकास के मार्ग पर ले जाती है और भूस्खलन के खतरों को कम करने में सहायक सिद्ध होती है।
भूस्खलन आपदाओं के बारे में समझकर और उनके कारणों और प्रभावों के प्रति जागरूक होकर, हम इस प्राकृतिक आपदा से होने वाले जीवन और संपत्ति के नुकसान को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठा सकते हैं।
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