- 7 अक्तू॰ 2025
- Himanshu Kumar
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जब ग्यानेश कुमार, मुख्य चुनाव आयुक्त of चुनाव आयोग भारत ने 6 अक्टूबर, 2025 को सार्वजनिक घोषणा की, तो सभी संकेत मिलते थे कि यह साल का सबसे बड़ा मतदान होगा। उन्होंने बताया कि बिहार में 243 सीटों के लिए मतदान दो चरणों में 6 और 11 नवम्बर को होगा, जबकि गिनती 14 नवम्बर को तय की गई है।
घोषणा विज्ञान भवन (Vigyan Bhawan), नई दिल्ली में हुई। इस अवसर पर सुखबीर सिंह संधू और विवेक जोशी ने भी समर्थन दिया। ग्यानेश कुमार ने इस चुनाव को "मातृ निर्वाचन" (Mother of all elections) कहा, जबकि उन्होंने क़ानून और व्यवस्था बनाए रखने की पूरी तैयारी का भरोसा भी दिया।
इतिहास और पृष्ठभूमि
2025 का बिहार विधानसभा चुनाव राज्य में विशेष रूप से तैयार की गई कुल मिलाकर 7.43 करोड़ मतदाता सूची के साथ पहला बड़ा कदम है। यह सूची विशेष इंटेन्सिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया के बाद प्रकाशित हुई, जिसमें 14 लाख पहले‑बार वोट करने वाले भी शामिल हैं। पंथी का 2020 के तीन‑चरणीय चुनाव से तुलना करने पर, इस बार दो चरणों में ही मतदान किया जा रहा है, जो लॉजिस्टिक हिसाब से काफी सुगम है।
मुख्य विवरण और सुधार
चुनाव आयोग ने कुल 90,712 बूथ लेवल अधिकारियों (BLO), 243 खर्च वापस करने वाले अधिकारी (ERO) तथा 38 जिला चुनाव अधिकारियों (DEO) को तैनात करने की घोषणा की है। साथ ही, बिहार विधानसभा चुनाव में 17 बड़े सुधार भी लागू किए गए हैं, जिनमें से कुछ मुख्य बिंदु नीचे सूचीबद्ध हैं:
- सभी 90,712 मतदान केंद्रों पर 100% वेबकास्टिंग की व्यवस्था।
- मोबाइल फ़ोन डिपॉज़िट सुविधा, जिससे वोटर आसानी से अपना फॉर्म जमा कर सके।
- 85 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्ग और विकलांग व्यक्तियों के लिए घर से मतदान (होम वोटिंग) की स्वीकृति।
- नया 'ECI Net' ऐप, जो रीयल‑टाइम जानकारी और शिकायत निवारण प्रदान करेगा।
- प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्रों के लिए एक समर्पित पर्यवेक्षक, जिससे निगरानी अधिक सख़्त होगी।
- ड्रग, शराब और नकद लेन‑देनों को रोकने के लिए कड़ी जांच, विशेष रूप से मतदान केंद्रों के पास।
सुरक्षा के लिहाज़ से, केंद्र शासित प्रोलेक्टेड फोर्सेज (CAPF) को अग्रिम रूप से तैनात किया जाएगा, और सभी अधिकारियों को निरपेक्षता का सख़्त पालन करने का निर्देश दिया गया है।
पार्टियों की प्रतिक्रिया
राजनीतिक माहौल अब भी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) और महागठबंधन (INDIA ब्लॉक) के बीच खींच‑तान से भरपूर है। अभी तक कोई गठबंधन अपने सीट‑भाजन या उम्मीदवारों की घोषणा नहीं कर पाया है। हालांकि, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने तेजस्वी यादव को अपनी मुख्यमंत्री आकांक्षा के रूप में तय कर लिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अत्यधिक पिछड़ा वर्ग (EBC) अब बहुमत जीतने का निर्णायक कारक बन सकता है। जातीय आंकड़े दिखाते हैं कि कुर्मी (2.87%), कोएरी (4.2%), तेली (2.81%), मलाह (2.6%) और बनिया (2.31%) जैसे वर्गों की संख्या निरन्तर बढ़ रही है, जिससे इन समूहों की ओर ध्यान देना अनिवार्य हो गया है।
प्रभाव और व्यापक विश्लेषण
यह चुनाव न केवल बिहार की राजनीतिक दिशा तय करेगा, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी गठबंधन की ताकत को परखने का मंच बन सकता है। यदि NDA इस बार अपने गठबंधन को बरकरार रख पाता है, तो यह अगले आम चुनाव में केंद्र सरकार की लोकप्रियता को स्थिर कर सकता है। वहीं, महागठबंधन को यदि एंगेजमेंट और गठबंधन में सामंजस्य स्थापित हो जाए, तो राष्ट्रीय प्रतिद्वंद्विता में तीव्रता आ सकती है।
फ़सल‑किसान मुद्दे, शिक्षा‑स्वास्थ्य सुविधाएँ और शराबबंदी नीतियों को लेकर विभिन्न सामाजिक वर्गों में अलग‑अलग राय है। विशेषकर चहात पर्व के तुरंत बाद का समय चुनने से मतदान दर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है, क्योंकि लोग उत्सव के बाद घर लौटते‑लौटते मतदान केंद्रों तक आसानी से पहुँच पाएँगे।
आगे क्या?
अभी के लिए प्रमुख तारीखें इस प्रकार हैं: वोटर सूची अंतिम रूप 30 सितम्बर 2025 को प्रकाशित हुई, उम्मीदवारों के नामांकन के लिए अंतिम तिथि 3 नवम्बर 2025 है, फिर दो चरणों में मतदान (6 और 11 नवम्बर) और अख़िर में गिनती 14 नवम्बर। मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट पहले ही लागू हो चुका है, और इस पर कड़ाई से निगरानी रखी जाएगी। अगले महीने के अंत तक सभी गठबंधन के स्ट्रैटेजी दस्तावेज़ साफ़ हो जाएंगे, जिससे जनता को स्पष्ट विकल्प मिल सकेगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
बिहार में प्रथम बार वोट करने वाले 14 लाख लोगों का क्या प्रभाव रहेगा?
इन युवा मतदरों की भागीदारी अक्सर चुनावी परिणामों को बदल देती है। वे नई नीतियों, रोजगार और शिक्षा को प्राथमिकता देते हैं, जिससे दलों को युवाओं के लिए विशेष घोषणाएँ करनी पड़ेंगी।
क्या घर से मतदान (होम वोटिंग) प्रक्रिया के लिए कोई विशेष शर्तें हैं?
होम वोटिंग केवल 85 साल से अधिक उम्र वाले बुजुर्गों और सिद्ध‑अक्षम निष्कलंक नागरिकों के लिए उपलब्ध होगी। उन्हें अपनी पहचान और चिकित्सा प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा, जिसके बाद विशेष इलेक्ट्रॉनिक मतदान उपकरण उनके घर पर स्थापित किया जाएगा।
CAPF की तैनाती से सुरक्षा में कितना सुधार होगा?
CAPF की अग्रिम तैनाती से मतदान केंद्रों पर शांति बनी रहेगी। वे न केवल संभावित दंगे रोकेंगे, बल्कि नकली फुटेज और नकली खबरों को भी निगरानी करेंगे, जिससे भरोसा कायम रहेगा।
बिहार विधानसभा चुनाव में मध्यवर्ती कोड ऑफ कंडक्ट कब लागू होगा?
मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट ने पहले ही 6 अक्टूबर से प्रभावी हो जाना शुरू कर दिया है। इसका मतलब है कि सभी राजनेता और पार्टी कार्यकर्ता अब चुनावी प्रचार में सीमित नियमों का पालन करेंगे, जिसमें धन का उपयोग और नकारात्मक विज्ञापन प्रतिबंधित हैं।
बिहार में वोटर लिस्ट में सबसे बड़ी बदलाव क्या है?
विशेष इंटेन्सिव रिवीजन ने लगभग 5 लाख नामों को जोड़ा और 3 लाख नामों को हटाया, जिससे कुल मतदाता 7.43 करोड़ तक पहुँच गया। यह सुधार विशेष रूप से प्रवासी और पहली बार वोट करने वाले युवा वर्ग में दिखा।
2 टिप्पणि
बहुत बड़ी बात है कि यह “मातृ निर्वाचन” कहलाया, लेकिन असल में यह बस एक और चुनाव चक्र है। 6 और 11 नवम्बर को दो चरणों में मतदान का प्रबंधन लॉजिस्टिक तौर पर आसान लग रहा है, फिर भी बूथ लेवल अधिकारियों की संख्या बढ़ाना कोई छोटी बात नहीं। 90,712 BLO और 243 ERO की भर्ती से आशा है कि देर रात तक वोट गिनती होगी, वरना फिर से गिनती में देरी की शिकायतें होंगी। मोबाइल फ़ोन डिपॉज़िट जैसी सुविधाएँ युवा वोटरों को आकर्षित कर सकती हैं, पर इसका उपयोग कैसे होगा, यह देखना बाकी है। अंत में, CAPF की तैनाती से सुरक्षा का आश्वासन मिलता है, लेकिन जनरली दंगे न हों, यही तो सभी की दुआ है।
ऐसे बड़े चुनाव में फिर भी पार्टियों की तैयारियां अभी तक धुंधली हैं, क्या यही असली लोकतंत्र है?