- 17 मई 2024
- Himanshu Kumar
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भारतीय उद्योग जगत के दिग्गज बी के बिड़ला की सबसे छोटी बेटी और केसोराम इंडस्ट्रीज की चेयरपर्सन मंजुश्री खेतान का 16 मई को कोलकाता में निधन हो गया। वह 69 वर्ष की थीं। उनके निधन से भारतीय व्यापार समुदाय में शोक की लहर है।
मंजुश्री खेतान एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व थीं, जो अपने प्रसिद्ध परिवार की विरासत को बखूबी निभा रही थीं। उन्होंने जुलाई 2019 में अपने पिता के निधन के बाद केसोराम इंडस्ट्रीज की चेयरपर्सन का पद संभाला था। उनका नेतृत्व बोर्डरूम तक ही सीमित नहीं था, बल्कि शिक्षा और परोपकार के क्षेत्र में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई।
शिक्षा और कला के प्रति समर्पण
मंजुश्री खेतान अशोक हॉल ग्रुप ऑफ स्कूल्स की ट्रस्टी थीं और अशोक हॉल, जीडी बिड़ला सेंटर फॉर एजुकेशन, महादेवी बिड़ला शिशु विहार और लिटिल स्टेप स्कूल जैसे संस्थानों को अपना समर्थन देती थीं। वह लड़कियों, विशेषकर वंचित पृष्ठभूमि से आने वाली लड़कियों की शिक्षा के प्रति समर्पित थीं और इस दिशा में उन्होंने सराहनीय प्रयास किए।
खेतान ने बिड़ला एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स के माध्यम से कला के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय योगदान दिया। वह विभिन्न कलाकारों को अपना समर्थन देती थीं और उनके कार्यों को प्रोत्साहित करती थीं।
छात्रों में निवेश संस्कृति को बढ़ावा
मंजुश्री खेतान छात्रों में निवेश संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए जानी जाती थीं। वह अक्सर छात्रों को केसोराम इंडस्ट्रीज की वार्षिक आम बैठकों में लाती थीं ताकि वे कॉरपोरेट दुनिया के बारे में जानकारी हासिल कर सकें और निवेश की अवधारणा को समझ सकें।
एक प्रेरणादायक जीवन का अंत
खेतान के निधन से उनके दामाद अंशुमान जालान, पोते-पोतियां और उनके द्वारा प्रभावित अनगिनत लोग दुखी हैं। उनके भतीजे कुमार मंगलम बिड़ला ने उनकी अंतिम क्रिया की, जो बिड़ला परिवार के लिए एक युग का अंत था।
मंजुश्री खेतान का जीवन समर्पण, दृढ़ संकल्प और उदारता का प्रतीक था। उन्होंने अपने कार्यों और योगदान से समाज पर अमिट छाप छोड़ी है। उनकी कमी हमेशा खलेगी, लेकिन उनके द्वारा प्रदान किए गए मार्गदर्शन और प्रेरणा हमेशा हमारे साथ रहेंगे।
मंजुश्री खेतान का जाना भारतीय उद्योग जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। उनके परिवार, मित्रों और सहयोगियों के प्रति हमारी संवेदनाएं हैं। उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बना रहेगा।
11 टिप्पणि
जिन्दगी के सफ़र में अक्सर हम बड़े नामों को स्थायी धरोहर मानते हैं, परन्तु असली धरोहर उन व्यक्तियों की विचारधारा में होती है। मंजुश्री ख़ेतान का निधन न केवल एक परिवार के लिये शोक है, बल्कि भारतीय उद्योग में एक विचारशील शक्ति का खात्मा है। उनका नेतृत्व प्रबंधन के सिद्धांतों से परे, सामाजिक जिम्मेदारी की ओर इशारा करता था। यह देखना आवश्यक है कि हम उनके शिक्षण व कला के योगदान को किस तरह आगे बढ़ा सकते हैं।
मंजुश्री जी ने शिक्षा के क्षेत्र में जो कदम रखे थे वह हमारे देश के भविष्य की नींव को मज़बूत करते हैं उन संस्थानों में उनका योगदान आज भी जीवित है और कई छात्र उनसे प्रेरित होते हैं उनका काम हमेशा याद रहेगा
दिल से 🙏🏼 उनके द्वारा किए गये कार्यों को कभी नहीं भूला जा सकेगा 🙇♀️ उन्होंने लड़कियों को शिक्षा के पथ पर आगे बढ़ाया, कला को पोषित किया और कई दिलों में आशा की लौ जलाई 😊
याद रखो बिड़ला परिवार की शान को अभी तक उतनी खुशी नहीं मिल रही जितनी मिलनी चाहिए वो लोग सिर्फ दिखावा कर रहे हैं असली मर्यादा और सम्मान नहीं दिखा पा रहे हैं
फैक्ट्स साफ़ हैं कि मंजुश्री ने इंडस्ट्री को केवल मुनाफ़े के लिये नहीं चलाया। उन्होंने शिक्षा और कला में निवेश किया, जिससे सामाजिक परिवर्तन सक्रिय हुआ। ऐसा नेतृत्व अब नहीं दिखेगा, और यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि इस विरासत को आगे ले जाएँ।
यह बात स्वाभाविक है कि जब हम किसी महान शख़्सियत का अंत देखते हैं तो राष्ट्र की आत्मा में गहरी चोट का एहसास होता है। मंजुश्री ख़ेतान न सिर्फ़ एक व्यापारिक नेता थीं, बल्कि एक सांस्कृतिक स्तंभ भी थीं, जिन्होंने भारतीय परम्परा को आधुनिकता के साथ जोड़ने का अद्भुत कार्य किया। उनका जन्म एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ, परन्तु उन्होंने अपने पद को केवल विरासत नहीं माना, बल्कि इसे सेवा के रूप में अपनाया। उन्होंने अधीर युवा वर्ग को निवेश की संस्कृति से रूबरू कराया, जिससे वह व्यावसायिक सोच को समझ सकें। यह एक ऐसी शिक्षा थी जो केवल कक्षा तक सीमित नहीं रही, बल्कि वास्तविक जीवन के मंच पर भी लागू हुई। उन्होंने असाधारित वर्ग के छात्रों को अवसर प्रदान करके सामाजिक समानता को बढ़ावा दिया। बिड़ला एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स में उनके योगदान ने कई कलाकारों को पहचान दिलाई। उनका कार्य केवल आर्थिक नहीं, बल्कि भावनात्मक और सामाजिक था। इस अभूतपूर्व समर्पण को देखते हुए हम सभी को उनका अनुसरण करना चाहिए, न कि बस शोक व्यक्त करना। देश के भविष्य को मजबूत बनाने के लिये हमें उनकी दृष्टि को अपनाना होगा। यह केवल उनके परिवार की बात नहीं, बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र की ज़िम्मेदारी है। आज के युवा को चाहिए कि वह उनके संस्थानों में सक्रिय भूमिका निभाए और नई पहल को प्रेरित करे। इस प्रकार उनका legado आगे भी जीवित रहेगा। हम सबको मिलकर इस विरासत को आगे बढ़ाने का कर्तव्य निभाना चाहिए।
बिलकुल सही, मंजुश्री की दृष्टि में शिक्षा और निवेश का संतुलन ही विकास का असली मंत्र था। उनका योगदान नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता, और हमें उसका सम्मान कर आगे बढ़ना चाहिए।
भाई उनका योगदान असली था।
ओह, क्या बात है, फिर से एक और धनी परिवार का शोक मनाते हैं, जैसे यह कोई नया एपिसोड हो।
मंजुश्री ख़ेतान ने जिस तरह से शैक्षिक संस्थानों को समर्थन दिया, वह न केवल प्रशंसनीय है बल्कि अनिवार्य भी था। उनके प्रयासों से कई युवा महिला को अवसर मिला, और यह एक प्रेरक मॉडल स्थापित करता है। हम सभी को उनका सम्मान करते हुए उनके सिद्धांतों को अपनाना चाहिए।
सही बात है हम सबको उनका काम याद रखना चाहिए व आगे भी एसी पहलें चलनी चाइए इससे बहुत लोग फाइदा utha सकते है