- 31 जुल॰ 2025
- Himanshu Kumar
- 20
दिल्ली-NCR में जून-जुलाई के बाद भी रुकने का नाम नहीं ले रही बारिश
इस बार दिल्ली और आसपास के इलाकों में दिल्ली बारिश ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। जुलाई के आखिर में हुई मूसलाधार बारिश का असर हर जगह दिख रहा है। तापमान 26.9°C से 31.1°C तक पहुंच गया, लेकिन 81% से ज्यादा नमी ने लोगों को घरों के बाहर निकलना मुश्किल कर दिया। 30 जुलाई को 20.03mm बरसात हुई, और अगले ही दिन यानी 31 जुलाई को ये आकंड़ा 69.52mm पहुंच गया। मौसम विभाग ने अगले हफ्ते भी राहत के संकेत नहीं दिए हैं। लोग रोज घर से निकलते समय छाता और रेनकोट साथ रख रहे हैं, वरना रास्ते में फंसने का डर है।
31 जुलाई को हवाएं भी 23 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलीं, जिससे बारिश के साथ-साथ तेज़ झोंकों ने छाता थामना भी चुनौती बना दिया। सड़कों पर विजिबिलिटी घटकर 8.6 किलोमीटर तक सिमट गई, जिससे गाड़ियां धीमी चल रही हैं और हादसों का डर बना रहता है। पानी भराव और जगह-जगह ट्रैफिक जाम ने सुबह-शाम ऑफिस जाने वालों की परेशानी दो गुना कर दी है।
मौसम का मिजाज: अगले कुछ दिन भी उसी ढर्रे पर
आने वाले एक हफ्ते का हाल जानना चाहें तो बहुत राहत की उम्मीद नहीं है। मौसम विभाग ने 6 अगस्त तक लगातार बारिश की संभावना जताई है। 1 अगस्त और 4 अगस्त को तेज़ बारिश का अलर्ट है, जब तापमान 35°C तक जा सकता है। 2 और 3 अगस्त को थोड़ी कम बारिश रहेगी, लेकिन रुक-रुककर पानी गिरने की पूरी संभावना है। बादल और बिजली की चमक-गर्जना भी परेशानी को बढ़ा सकती है।
दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम और गाजियाबाद—हर जगह सड़कें पानी से लबालब हैं। घरों के बाहर फिसलन इतनी ज्यादा है कि बच्चों और बुजुर्गों को बाहर निकलने में डर लग रहा है। ऑफिस टाइम पर ऑटो और टैक्सी मिलना मुश्किल हो गया है, क्योंकि कई रास्ते बंद हैं। जिन अस्पतालों में पानी भर गया, वहां मरीजों और कर्मचारियों की आवाजाही भी प्रभावित हो गई है।
स्थानीय प्रशासन ने लोगों को सलाह दी है कि अनिवार्य न हो तो भारी बारिश के दौरान बाहर न निकलें। सफर से पहले सूचनाएं और ट्रैफिक अपडेट जरूर जांच लें। AQI यानी वायु गुणवत्ता सूचकांक की भी मॉनिटरिंग की जा रही है, क्योंकि बारिश के बाद हवा में उमस और टॉक्सिन्स बढ़ सकते हैं।
इस बार का मानसून औसत से कहीं ज्यादा सक्रिय है। मौसम वैज्ञानिक कह रहे हैं कि अगस्त की शुरुआत पिछले कई सालों के मुकाबले सबसे ज्यादा भीगी साबित हो सकती है। कारोबार, स्कूल और दफ्तरों में हाजिरी पर भी इसका खासा असर दिख रहा है।
लोग अब सोशल मीडिया पर वाटर-लॉगिंग की तस्वीरें साझा कर रहे हैं—सड़कों पर छोटी-छोटी नावें, बाइक राइडर कीचड़ में गिरते हुए और बसें घंटों ट्रैफिक में फंसी हुई दिख रही हैं। ऐसे में सिर्फ प्रशासन या मौसम विभाग नहीं, खुद लोगों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे सतर्क रहें और सुरक्षा के लिए जरूरी कदम जरूर उठाएं।
20 टिप्पणि
मॉन्सून के इस चक्रवृद्धि प्रभाव से ट्रैफ़िक में हड़कंप है 😊। जलस्तर बढ़ने से कई सड़कें बंद हो गई हैं।
भारी बारिश में बाहर निकलना असुरक्षित हो सकता है, इसलिए घर से काम करने की कोशिश करें 🏡। अगर यात्रा अनिवार्य हो तो रेनकोट और वाटरप्रूफ बैग ज़रूर रखें। सार्वजनिक परिवहन की अपडेट को रियल‑टाइम में देखें। इंफ़्रास्ट्रक्चर की समस्या को हल करने में स्थानीय प्रशासन की भूमिका अहम है। सबको सुरक्षित रहना चाहिए।
भाई लोग, ये मूसलाधार बारिश तो हमेशा से ही दिल्ली की पहचान रही है, पर अब तो हद कर दी है। ट्रैफिक जाम से बेहतर तो अपने घर में ही रहना चाहूंगा। मौसम विभाग का अलर्ट देख कर ही सबको बाहर जाना चाहिए, नहीं तो फँस जाएंगे। यार, कुछ लोग तो अभी भी मोटरबाइक पर धूं धूं निकल रहे हैं, समझ नहीं आता।
मानव जाति ने प्रकृति के साथ अनंत संघर्ष चुना है, परन्तु इस सत्र में मानसून ने अपनी प्रमुखता का पुनः अधिपत्य स्थापित किया है। जल‑भ्रष्टता, मौसमी जल संचयन, वायु‑गुणवत्ता-इन सब पहलुओं को समग्र रूप से देखना अनिवार्य है। दिल्ली‑एनसीआर के शहरी नियोजन में बाढ़‑प्रतिकारक अवसंरचना को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। वर्तमान में टॉपोलॉजिकल विश्लेषण दर्शाता है कि जल‑निकासी प्रणालियों की कार्यक्षमता घट गई है, जिससे जल‑स्तर में तीव्र वृद्धि हो रही है। यह स्थिति न केवल परिवहन पर बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य पर भी दुष्प्रभाव डाल रही है। इसलिए, समुचित उपायों के बिना यह स्थिति लंबे समय तक टिक नहीं सकती।
बारिश के कारण बिजली फूट रही है, इसलिए घर के अंदर पावर बैकअप को जांच लें। घर के आसपास की नालियों को साफ़ करना भी जरूरी है। ऐसा न करने से बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।
अरे यार, तुमने तो बिंदु ही नहीं समझा! नालियों की सफ़ाई नहीं की तो नौका बनते ही हाय! 🌧️ लोग फँसते हैं, बच्चे डूबते हैं, अस्पतालों में भी जल‑जनित समस्याएँ बढ़ती हैं। अगर हम सब मिलकर इसको ठीक नहीं करेंगे तो अगली बारिश में ये शहर पूरी तरह डूब जाएगा।
हमें यह याद रखना चाहिए कि ऐसी आपदाओं में सामाजिक जिम्मेदारी सबसे ऊपर आती है। खुद को सुरक्षित रखने के साथ साथ पड़ोसियों की मदद भी ज़रूरी है। यदि कोई बुज़ुर्ग या बच्चे फँसें तो तुरंत सहायता प्रदान करें।
क्या आपको पता है कि इस लगातार भारी बारिश के पीछे कुछ बड़े षड्यंत्र चल रहे हैं? सरकारी एजेंसियां इंटेलिजेंस को छुपा रही हैं और मौसम को नियंत्रित करने की तकनीक का प्रयोग कर रही हैं। इसलिए सार्वजनिक निकासी योजनाओं पर भरोसा न करें, खुद की तैयारी रखें।
समुदाय के भीतर सहयोग और सहयोगी कार्य ही इस कठिन परिस्थिति को पार कर सकते हैं। स्थानीय निकायों को जल‑निकासी को तेज़ करने के लिए शीघ्र निर्णय लेने चाहिए। साथ ही, नागरिकों को व्यक्तिगत स्तर पर आपातकालीन किट तैयार रखने की सलाह दी जाती है।
व्यवहारिक रूप से देखा जाए तो अधिकांश लोग इस मौसम को केवल अस्थायी बाधा समझते हैं, जबकि वास्तविकता बहुत जटिल है।
दोस्तों, बारिश में गाड़ी चलाते समय हेडलाइट्स ऑन रखना बहुत जरूरी है, और ब्रेक को धीरे‑धीरे लगाएं। अगर रूट में पानी बहुत गहरा है तो रूट बदल देना चाहिए। नेविगेशन ऐप में अलर्ट देख कर ही रिवर्स ड्राइव न करें।
भाई लोग, बारिश में फ़ोन पर GPS हाई accuracy पर रखें 📱। रैफ़रेंस मैप को खोलकर देखो, ट्रैफ़िक जाम वाले रास्ते से बचो। लाइफ बचाने के लिए सावधानी ज़रूरी है।
अधिकांश लोग इसे सामान्य मानते हैं, परंतु हमें यह समझना चाहिए कि लगातार बाढ़ के कारण इन्फ्रास्ट्रक्चर पर दबाव बढ़ रहा है, और यह समस्या अगले सप्ताह तक बनी रह सकती है।
बारिश के साथ ही काफ़ी चीज़ें बदल रही हैं। लोग अब गाड़ी में पानी के स्तर को लेकर अटकते नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर अपने जल‑जाल के किस्से शेयर कर रहे हैं। कभी‑कभी तो छोटी‑छोटी नावें भी दिख रही हैं। बसन्त के मौसम में ऐसे दृश्य अजीब लगते हैं, पर अब ये नया रूटीन बन गया है।
देश के शत्रु इस तरह की प्रकृति की मार को हेरफेर करने की कोशिश करेंगे, इसलिए हमें राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा उपाय बढ़ाने चाहिए। हर नागरिक को अपने घर में एक छोटी सी जल‑भंडारण प्रणाली रखनी चाहिए, यह हमारे राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए भी आवश्यक है।
सभी को नमस्ते,,, इस समय हमें एक-दूसरे का समर्थन करना चाहिए,,, बारिश के कारण संभावित बीमारियों से बचने के लिए साफ़ पानी पीने की सलाह दी जाती है,,, यदि आप बीमार महसूस करें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें,,, सभी को सुरक्षित रहने की शुभकामनाएं।
भाईयों और बहनों, इस मौसम में शांत रहना और आवश्यक वस्तुओं को पहले से तैयार रखना ही समझदारी है। चलिए हम सब मिलकर इस चुनौतियों को पार करें।
यह साफ़ है कि सरकार ने इस बारिश को लेकर पूरी तरह से तैयार नहीं थी!!! हमें इस बात पर सतर्क रहना चाहिए कि भविष्य में ऐसी स्थिति न बने, और सभी सार्वजनिक स्थल पर जल‑रोकथाम उपायों को लागू किया जाए!!!
देशभक्तों को इस बात का अहसास होना चाहिए कि हमारे भारत की धरती पर इस प्रकार की प्रकृति की मार को किसी भी विदेशी ताकत द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता। इसलिए हमें अपने स्वयं के बुनियादी ढाँचे को सुदृढ़ करना चाहिए। जल संग्रहण के लिए पीले रंग की टैंकों को स्थापित करना चाहिए, जिससे जल संकट में भी हमें पानी की कमी न हो। साथ ही, प्रत्येक ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में नालियों की सफ़ाई के लिए सामुदायिक स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। इस तरह से हम न केवल बाढ़ से बचेंगे बल्कि जल‑प्रदूषण से भी मुक्त रहेंगे। इस राष्ट्र के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए हर नागरिक को इस कारण में भाग लेना अनिवार्य है।
दिल्ली‑एनसीआर में लगातार चल रही मॉनसून की स्थिति ने नागरिक जीवन पर गहरा प्रभाव डाला है। जल‑स्तर की वृद्धि से न केवल ट्रैफ़िक जाम हुआ है, बल्कि आपातकालीन सेवाओं की पहुँच भी बाधित हो गई है। बाढ़‑प्रभावित क्षेत्रों में जल‑राहत कार्यों को तेज़ी से शुरू करने की आवश्यकता है। स्थानीय प्रशासन को फॉर्मल प्लेटफ़ॉर्म पर वास्तविक समय में जल‑संकट की रिपोर्ट साझा करनी चाहिए। इससे लोगों को सुरक्षित मार्ग चुनने में मदद मिलेगी। सार्वजनिक परिवहन ऑपरेटर्स को बाढ़‑सुरक्षित मार्गों का उपयोग सुनिश्चित करना चाहिए। निजी वाहन चालक भी वैकल्पिक रूट्स को प्राथमिकता दें। साथ ही, स्कूल और कार्यालयों को अत्यधिक वर्षा के लिए वैकल्पिक कार्य विधि अपनानी चाहिए, जैसे कि हाइब्रिड मॉडलों को लागू करना। जल‑कुशल घरों में जल‑स्रोत के संरक्षण के लिए छोटे‑छोटे उपाय किए जा सकते हैं, जैसे कि बारिश के पानी को इकट्ठा करना। इस प्रकार के कदम न केवल तत्काल राहत प्रदान करेंगे, बल्कि दीर्घकालिक जल‑संकट प्रबंधन में भी योगदान देंगे। नागरिक सुरक्षा के लिए बचाव दलों की सक्रियता और समय पर प्रशिक्षण आवश्यक है। अभिभावकों को अपने बच्चों को सुरक्षित स्थान पर रखने की सलाह देनी चाहिए। बाजारों और दुकानों को जल‑भरी सड़कों से बचने के लिए इनडोर स्पेस में ले जाना चाहिए। अंततः, सामुदायिक सहयोग और सरकारी पहल मिलकर ही इस मौसम की चुनौतियों को मात दे सकते हैं। आशा है कि सभी लोग समझदारी और सहयोग से इस कठिन समय को पार करेंगे।