- 25 सित॰ 2025
- Himanshu Kumar
- 12
विवाद की पृष्ठभूमि
दिल्ली कैपिटल्स ने 2025 के IPL में ऑस्ट्रेलियाई ओपनर जेेक फ्रेसर‑मैकगर्क के हटाने के बाद बांग्लादेश के तेज़ पेसर मौस्तफ़िज़ूर रहमान को बदली खिलाड़ी के तौर पर साइन किया। यह शॉर्ट नोटिस अनुबंध 6 करोड़ रुपये के आसपास तय हुआ, जबकि पूरे टूर्नामेंट को भारत‑पाकिस्तान सीमा तनाव के कारण 17 मई से फिर से शुरू करना पड़ा था। कई विदेशी खिलाड़ी, जैसे मिचेल स्टार्क, भी भारत वापस आने से हिचकिचा रहे थे।
परिस्थिति और जटिल तब हो गई जब बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड (बीसीबी) के सीईओ निज़ामुद्दीन चोधरी ने कहा कि उन्हें IPL की कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है और न ही मौस्तफ़िज़ूर ने कोई पुष्टि की थी। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश को 17 और 19 मई को यूएई के खिलाफ दो टी20 इंटरनेशनल मैच खेलने हैं, उसके बाद 25, 27, 30 मई एवं 1, 3 जून को पाकिस्तान में पाँच मैच तय हैं। ये दिन दिल्ली कैपिटल्स की लीग के अंतिम तीन मैचों (18, 21, 24 मई) के साथ टकराते हैं।
रहमान को पहले यूएई शरजाह में भारत‑पाकिस्तान सीमा की तंगी के कारण बांग्लादेश की टीम के साथ खेलना पड़ा। उन्होंने 17 मई को 2/17 के शानदार आंकड़े दर्ज किए। इस दौरान सोशल मीडिया पर #BoycottDelhiCapitals हैशटैग जलने लगा, क्योंकि कुछ दर्शकों ने बांग्लादेशी खिलाड़ी को IPL में खेलने से विरोध किया, उनका दावा था कि बांग्लादेश का हालिया राजनैतिक रुख anti‑India है।
अंत में बीसीबी ने एक नो ऑब्जेक्शन सर्टिफ़िकेट (NOC) जारी किया, जिससे रहमान 18 से 24 मई तक दिल्ली कैपिटल्स के लिए खेल सके। यह मंजूरी ठीक उसी समय मिली जब टीम को स्टार्क की जगह चाहिए थी, क्योंकि स्टार्क ने भारत वापस नहीं आने का फैसला कर लिया था। रहमान ने अपनी दिल्ली कैपिटल्स की दूसरी शुरुआत 18 मई को गुजरात टाइटنز के खिलाफ अर्जुन जेटली स्टेडियम में की।
आगे का प्रभाव और सीख
बीसीसीआई ने विदेशी खिलाड़ी के अचानक बाहर हो जाने पर टीमों को मदद करने के लिए रिप्लेसमेंट नियमों में बदलाव किए। इस बदलाव ने दिल्ली कैपिटल्स को रहमान को साइन करने का मौका दिया, पर साथ ही यह भी दिखा कि अंतरराष्ट्रीय कैलेंडर, राष्ट्रीय टीम की प्राथमिकताएं और भू‑राजनीतिक माहौल कैसे फ्रेंचाइज़ी की रणनीति को उलझा सकते हैं।
- भौगोलिक तनाव के कारण कई विदेशी खिलाड़ी IPL से हटे, जिससे टीमों को वैकल्पिक खिलाड़ी खोजने पड़े।
- बीसीबी का प्रारंभिक मौन ने टीम को अनिश्चित किया, जबकि सोशल मीडिया पर विरोधी प्रवृत्ति ने सार्वजनिक दबाव बढ़ा दिया।
- अंत में NOC मिलने से विवाद सुलझा, पर यह दिखाता है कि अंतरराष्ट्रीय बोर्ड के साथ समन्वय कितना जरूरी है।
यह घटना दर्शाती है कि IPL 2025 सिर्फ खेल नहीं, बल्कि राजनीति, अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और व्यावसायिक समझौते का जटिल संगम है। जब तक बोर्ड, लीग और सरकारें आपस में तालमेल नहीं बैठातीं, ऐसे टकराव और विवाद फिर दोहराए जा सकते हैं।
12 टिप्पणि
देश के हित को देखना सबसे महत्वपूर्ण है, और विदेशी खिलाड़ियों को राजनीति के खेले में फँसना नहीं चाहिए। जब बांग्लादेशी खिलाड़ी को जल्दी‑जल्दी साइन किया जाता है, तो यह संकेत मिलता है कि टीम प्रबंधन ने अस्थायी समाधान को प्राथमिकता दी। इस तरह की हरकतें हमारे पेशेवर क्रिकेट के मूल्यों को धुंधला कर देती हैं। खेल को जियो‑पॉलिटिकल दर्शकों के बीच टांगना उचित नहीं।
वास्तव में, ये शेड्यूल टकराव देखकर लग रहा है जैसे टाइम‑टेबल को भी बीते दौर की जासूसी ने बदल दिया हो। खिलाड़ी तो अपनी खेल पर फोकस करना चाहते हैं, पर टीम को भी लचीलापन दिखाना चाहिए।
इंडिया के गर्व को धुंधला ना होने दो, ऐसे विदेशी खिलाड़ी लाते रहो तो हमारे औरों की टीम बर्बाद हो जाएगी। बांग्लादेशी खिलाड़ी को ऊपर से मारना उचित है।
समझ रहा हूँ,‑‑ टीम को अचानक बदलना‑‑ कठिन हो सकता है,‑‑ लेकिन खिलाड़ी भी अपनी पैशन के लिये तैयार रहते हैं,‑‑ और दर्शकों की प्रतिक्रियाएँ भी मायने रखती हैं,‑‑ हमें संतुलन बनाना चाहिए।
इतनी तेज‑तीव्र राजनीति में खेल को शांतिपूर्ण रखना चाहिए। सभी पक्षों को मिल‑जुल कर समाधान ढूँढना बेहतर रहेगा।
क्या आप नहीं सोचते?? यह सभी एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है!!! सरकार, बीसीसीआई, यहाँ‑वहाँ सब मिल‑जुल कर खिलाड़ियों को नियंत्रित कर रहे हैं।
ये सब फर्जी ड्रामा है!
देखो भाईयो और बहनो, इस केस में सबसे बड़ा सवाल यह है कि एंट्री नियम कैसे बदलते हैं? अगर आप नियमों को समझना चाहते हैं, तो मैं एक छोटा चार्ट बना सकता हूँ-जो दिखाता है कि कब कौन‑सा खिलाड़ी प्रतिस्थापित किया जा सकता है।
वाकई!! शेड्यूल टकराव से टीम को बड़ी दिक्कत होती है,!! लेकिन प्रबंधन को लचीलापन दिखाना चाहिए,!! और खिलाड़ियों को भी समझना चाहिए,!!
चलो इस स्थिति को एक सीख मानते हैं 😊 हर चुनौती में कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता है, और टीम का बंधन मजबूत होता है।
हमारी टीम को अपना गौरव बनाये रखना चाहिए, बाहर के राजनैतिक खेल में फँसना नहीं।
एक विचार है कि खेल और राजनीति कभी भी पूरी तरह से अलग नहीं रह सकते।
इतिहास में कई बार देखा गया है कि राजनैतिक तनाव ने खेल के निर्णयों को प्रभावित किया है।
आज का मामला भी वही उदाहरण है, जहाँ सीमा तनाव ने टीम की रणनीति को बदल दिया।
बांग्लादेशी खिलाड़ी को साइन करना सिर्फ खेल का मामला नहीं, बल्कि एक कूटनीति का भी हिस्सा बन गया।
इस प्रकार के फैसले अक्सर सार्वजनिक भावना को ज्वलंत कर देते हैं।
सोशल मीडिया पर #BoycottDelhiCapitals जैसा ट्रेंड दिखाता है कि लोग कितना उत्साहित हो रहे हैं।
यदि हम इसे सिर्फ एक व्यावसायिक कदम मानें, तो यह हमारे राष्ट्रीय आत्मविश्वास पर असर डालता है।
हमारे खिलाड़ियों को ऐसे माहौल में खेलने के लिए मानसिक तैयारी की जरूरत होती है।
साथ ही, विभिन्न बोर्डों के बीच समन्वय की कमी भी इस समस्या को उभारी है।
भविष्य में ऐसे टकराव को रोकने के लिए स्पष्ट नियमों की आवश्यकता है।
नियमों में लचीलापन हो सकता है, पर वह केवल तब ज़रूरी है जब सभी पक्षों ने एकमत हो।
अंत में, यह स्पष्ट है कि खेल सिर्फ गेंद और बल्ले का नहीं, बल्कि विचारों का भी युद्ध है।
हम सब को इस बात को समझना चाहिए कि क्रीड़ा में राजनीति का अंडरलेयर हमेशा रहेगा।
एक संतुलित दृष्टिकोण से हम इस जटिलता को पार कर सकते हैं।
और सबसे बड़ी बात, दर्शक और फ़ैन को हमेशा सकारात्मक ऊर्जा देनी चाहिए, न कि नकारात्मकता।