
- 5 नव॰ 2024
- Himanshu Kumar
- 11
रिलायंस जियो का आईपीओ 2025 में तैयार
भारत के प्रमुख उद्योगपति मुकेश अंबानी की टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो आगामी 2025 में अपने शुरुआती सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) के साथ बाजार में कदम रखने की योजना बना रही है। इसकी महत्वाकांक्षा भारत के इतिहास के सबसे बड़े आईपीओ को लॉन्च करने की है। यह हाल ही में 'इंडिया के सबसे बड़े टेलीकॉम प्लेयर' के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने के बाद आता है, जिसके 479 मिलियन से अधिक ग्राहक हैं।
सूत्रों का दावा है कि कंपनी ने अन्य बड़े निवेशकों जैसे कि KKR, General Atlantic, और अबू धाबी निवेश प्राधिकरण से निवेश प्राप्त कर 25 अरब डॉलर जुटाए हैं। ऐसे में कंपनी की बाजार मूल्यांकन 100 अरब डॉलर से अधिक है। हालांकि, रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष अंबानी ने 2019 में कहा था कि जियो और रिटेल आईपीओ की दिशा में जाएंगे, लेकिन अब तक किसी निश्चित तारीख की घोषणा नहीं की गई है।
रिटेल बिजनेस का आवरण
रिलायंस रिटेल, जो भारत का सबसे बड़ा किराना स्टोर नेटवर्क चलाती है, में circa 3,000 सुपरमार्केट्स शामिल हैं। लेकिन कंपनी तेजी से विस्तार और विविध रिटेल प्रारूपों में जाने के चलते कई परिचालन मुद्दों का सामना कर रही है। कुछ स्थानों पर अपेक्षित लाभप्रदता हासिल नहीं की जा सकी है। बर्नस्टीन के अनुसार, पिछले साल रिटेल यूनिट का मूल्यांकन 112 अरब डॉलर पर हुआ था।
रिटेल बिजनेस के आईपीओ की संभावना 2025 के बाद ही देखने को मिलेगी क्योंकि कंपनी पहले कुछ आंतरिक व्यवसाय और परिचालन चुनौतियों को हल करना चाहती है।

प्रौद्योगिकी में आगे बढ़ता जियो
रिलायंस जियो ने भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धा के लिए एलोन मस्क के स्टारलिंक के साथ टक्कर लेने के लिए गूगल, मेटा, और एनवीडिया के साथ साझेदारी की है। यह साझेदारियां तकनीकी रूप से इसे और मजबूत बनाएंगी, खासकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में। जियो का उद्देश्य 2025 में जियो आईपीओ को भारत का अब तक का सबसे सफल आईपीओ बनाना है, जो हाल ही में हुंडई इंडिया के 3.3 अरब डॉलर के रिकॉर्ड आईपीओ को पीछे छोड़ सकता है।
इस बीच, जियो की आर्थिक स्थिरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जेफ्रीज़ ने जुलाई में इसे 112 अरब डॉलर का मूल्य प्रदान किया था।
भविष्य की संभावनाएं और निवेश
हालांकि आईपीओ की टाइमलाइन भविष्य में बदलाव की परिचालित है। अभी तक किसी नियुक्त बैंकर्स के बारे में जानकारी नहीं मिली है। इसके बावजूद, रिलायंस इंडस्ट्रीज की इस मौलिक तैयारी से समझा जा सकता है कि कंपनी मार्केट में अपनी स्थिति और मजबूत करने की दिशा में नए कदम उठा रही है।
कंपनी | मूल्यांकन | निवेश |
---|---|---|
रिलायंस जियो | $112 बिलियन | $25 बिलियन |
रिलायंस रिटेल | $112 बिलियन | अपर्याप्त |
इन सब बातों का कुल मिलाकर संकेत इस पर है कि रिलायंस जियो अपने आईपीओ की दिशा में मजबूती से बढ़ रही है, जबकि रिलायंस रिटेल के लिए यह यात्रा थोड़ी और लंबी हो सकती है।
11 टिप्पणि
जियो का IPO इंतजार नहीं कर सकता! 😃
जियो का IPO तो बहुत बड़का मजाक लग रहै है, निवेशकों को धोका देने की कोशिश दिख रही है। कंपनी की डैशबोर्ड से पता चलता है कि रिटेल सेक्टर में अभी तक कोई ठोस योजना नहीं बनी है।
जियो का आईपीओ एक ऐतिहासिक क्षण का प्रतीक है, लेकिन इस चमक के पीछे गहरी संरचनात्मक चुनौतियाँ छिपी हैं। टेलीकॉम क्षेत्र में किफायती डेटा पैकेजों का अभाव इनोवेशन को बाधित कर रहा है। एआई इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भारी निवेश का अर्थ है कि कंपनी भविष्य की डिजिटल अर्थव्यवस्था में प्रमुख खिलाड़ी बनना चाहती है। हालांकि, प्रतिस्पर्धी कंपनियों के साथ साझेदारी से तकनीकी डिपेंडेंसी बढ़ेगी, जिससे स्वतंत्र विकास में बाधा आ सकती है। निवेशकों को यह समझना चाहिए कि मूल्यांकन केवल मार्केट कैपिटलाइज़ेशन नहीं, बल्कि राजस्व उत्पन्न करने की क्षमता पर भी निर्भर है। जियो की मौजूदा ग्राहक बेस 479 मिलियन से अधिक है, परन्तु सक्रिय उपयोगकर्ता की संख्या और औसत राजस्व प्रति उपयोगकर्ता (ARPU) अभी भी अज्ञात है। इस अनिश्चितता को देखते हुए, आईपीओ की प्रारम्भिक कीमत अत्यधिक आशावादी लगती है। वित्तीय विश्लेषकों ने संकेत दिया है कि यदि कंपनी ऑपरेशनल खर्चों को नियंत्रित नहीं कर पाई, तो शेयर की कीमत जल्द ही गिरावट देखेगी। दूसरी ओर, रिलायंस इंडस्ट्रीज के पास पर्याप्त पूंजी बैकअप है, जिससे यह जोखिम कुछ हद तक कम हो सकता है। लेकिन पूंजी की उपलब्धता भी अनंत नहीं है, खासकर जब रिटेल सेक्टर में मौजूदा समस्याएं समाधान नहीं हुईं। इस संदर्भ में, कंपनी को अपने रिटेल परिसंपत्तियों को पुनः मूल्यांकन करना चाहिए, ताकि संपूर्ण समूह के लिए सशक्त बैलेंस शीट सुनिश्चित हो सके। स्टॉक मार्केट में प्रवेश करने से पहले, नियामक अनुमोदनों की प्रक्रिया भी समय लेगी, जिससे डिलिवरी में संभावित देरी आएगी। निवेशकों को यह भी देखना चाहिए कि KKR और General Atlantic जैसे विदेशी निवेशकों की सहभागिता कौन सा रणनीतिक दिशा दर्शाती है। अंततः, जियो का आईपीओ एक दोधारी तलवार हो सकता है, जहाँ उच्च रिटर्न के साथ उच्च जोखिम भी जुड़ा है। इस उत्साहजनक परिदृश्य में, धीरज और विवेक दोनों ही सफलता के प्रमुख तत्व बनेंगे।
जियो का आईपीओ और रिटेल का भविष्य दो अलग-अलग बातें हैं, दोनों को अलग से देखना चाहिए।
सच में, ये दोनो चीज़ें एक साथ लाया गया, तो गंदी हालत बनती है। कंपनी खुद ही उलझन में पड़ रही है।
निवेश में नैतिकता को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। कंपनी को अपने सामाजिक दायित्वों को स्पष्ट करना चाहिए।
क्या आप जानते हैं कि इस आईपीओ के पीछे छिपी हाई‑टेक स्टेट एजेण्डा है? सरकार इसको अपने डिजिटल सऊराष्ट्र के लिए इस्तेमाल कर रही है।
रिपोर्टेड जानकारी के आधार पर, यह आवश्यक है कि सभी पक्ष पारदर्शिता को प्राथमिकता दें। इस प्रकार का सहयोग बाजार के विश्वास को सुदृढ़ करेगा।
जियो का मूल्यांकन बहुत अधिक है यह देख कर मैं हैरान हूँ
चलो सब मिलके जियो को सपोर्ट करें और इस IPO को हिट्ट बनायें! 😁
ये सब बेकार बातें हैं, IPO सिर्फ एक धूर्त योजना है 🙄