- 22 नव॰ 2025
- Himanshu Kumar
- 18
8 अगस्त, 2025 को लंदन के द किया ऑवल पर खेले गए पांचवें टेस्ट में भारतीय क्रिकेट टीम ने इंग्लैंड को सिर्फ 6 रन से हराकर श्रृंखला को 2-2 से बराबर कर दिया। यह जीत इतनी ड्रामाई थी कि जब मोहम्मद सिराज ने 85.1 ओवर में गस एटकिंसन को सीधे बोल्ड कर दिया, तो पूरा स्टेडियम चौंक गया। ये जीत सिर्फ एक मैच नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट के इतिहास का एक नया अध्याय था।
ऑवल पर एशियाई टीम का पहला जीत
द किया ऑवल 1845 से क्रिकेट का घर है। इस वेन्यू पर अब तक कोई भी एशियाई टीम नहीं जीत पाई थी। भारत ने अब ये दीवार तोड़ दी। ये जीत न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि यह भारत की टेस्ट क्रिकेट में सबसे कम रनों से जीत भी है। पिछले 140 सालों में इंग्लैंड ने यहां कभी हार नहीं मानी — लेकिन आज, एक बार फिर, भारत ने असंभव को संभव कर दिखाया।
दिन चार का बड़ा भूल और दिन पांच का बदला
दिन चार पर सिराज ने एक भयानक फील्डिंग गलती की — उन्होंने हैरी ब्रूक को एक आसान कैच छोड़ दिया, जिसके बाद ब्रूक ने 111 रन बनाए। एनडीटीवी की रिपोर्ट में यही बात उठाई गई: "सिराज ने ब्रूक को जिंदा छोड़ दिया, लेकिन फिर उसी ने उसकी टीम को मार गिराया।" ये वो तरीका है जिससे असली खिलाड़ी बनते हैं — गलती को स्वीकार करना, और उसी दिन उसे बदलना।
सिराज और प्रसिद्ध: दो तीर, एक निशाना
मैच का असली ताबीज मोहम्मद सिराज थे। 30.1 ओवर में 5 विकेट (104 रन) के साथ उन्होंने अपनी टीम को जीत की ओर धकेला। लेकिन उनके साथ थे प्रसिद्ध कृष्ण — जिन्होंने पहली पारी में 4 विकेट लिए और आखिरी दिन भी बार-बार दबाव बनाया। दोनों ने 140+ की स्पीड पर गेंदबाजी की, लेकिन नई गेंद नहीं ली — पुरानी गेंद ने ही वो जादू किया जो नई गेंद नहीं कर पाई।
इंग्लैंड का अंतिम संघर्ष
इंग्लैंड को 374 रनों का लक्ष्य था। 347/7 पर जब जेमी स्मिथ आउट हुए, तो अब आखिरी रन बनाने की जिम्मेदारी क्रिस वूक्स के कंधों पर आ गई — जो एक बिखरे हुए कंधे के साथ बल्लेबाजी कर रहे थे। ये उनका आखिरी टेस्ट मैच था। उन्होंने अपने करियर को अंतिम ओवर तक ले जाने की कोशिश की, लेकिन जब सिराज ने एटकिंसन को बोल्ड किया, तो उनकी आंखों में आंसू थे। वूक्स ने एक बार फिर टीम के लिए खेला — और अब वो रिटायर हो गए।
भारत की पारी: एक गिरावट, एक वापसी
भारत ने पहली पारी में सिर्फ 224 रन बनाए। गस एटकिंसन ने 21.4 ओवर में 5 विकेट लेकर टीम को बर्बाद कर दिया। लेकिन दूसरी पारी में यशस्वी जैसवाल ने 118 रन बनाए — जिससे भारत ने 396 रन बनाए। ये वो पारी थी जिसने टीम को जीत की ओर ले आया।
वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप में भारत का बड़ा लाभ
इस जीत के साथ भारत को 12 पॉइंट्स मिले, जबकि इंग्लैंड को शून्य। ये पॉइंट्स भारत के वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप रेस में बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस सीरीज में भारत ने दो जीत, दो हार और एक ड्रॉ के साथ अपना रिकॉर्ड बनाया। लेकिन ये आखिरी जीत ने सब कुछ बदल दिया।
क्या अगला कदम?
भारतीय टीम अब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज के लिए तैयार हो रही है। लेकिन ये ऑवल की जीत ने टीम के आत्मविश्वास को एक नई ऊंचाई दी है। ये दिखाया कि भारत अब किसी भी वेन्यू पर जीत सकता है — चाहे वो ऑस्ट्रेलिया का ग्राउंड हो या इंग्लैंड का सबसे कठिन ट्रैक।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
इस जीत को भारत के इतिहास में क्यों महत्वपूर्ण माना जा रहा है?
यह भारत की पहली टेस्ट जीत है द किया ऑवल पर, और एशियाई टीमों के लिए भी ये पहली जीत है। इससे पहले 140 साल तक कोई एशियाई टीम यहां नहीं जीत पाई। इसके अलावा, यह भारत की टेस्ट क्रिकेट में सबसे कम रनों से जीत है — सिर्फ 6 रन का अंतर।
मोहम्मद सिराज ने इस मैच में क्या खास किया?
सिराज ने दूसरी पारी में 5 विकेट लिए और आखिरी ओवर में गस एटकिंसन को एक बेहतरीन यॉर्कर से बोल्ड कर दिया। उन्होंने दिन चार पर एक बड़ी फील्डिंग गलती की, लेकिन दिन पांच पर उसी गलती का बदला लिया। उनकी गेंदबाजी ने टीम को जीत दिलाई — और उन्हें टीम का हीरो बना दिया।
क्रिस वूक्स का यह मैच क्यों खास है?
क्रिस वूक्स ने इस मैच के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया। वह एक बिखरे हुए कंधे के साथ बल्लेबाजी कर रहे थे, लेकिन टीम के लिए आखिरी बार खड़े हुए। उनकी टीम के लिए लगातार खेलने की भावना ने इस मैच को भावनात्मक बना दिया।
भारत ने नई गेंद क्यों नहीं ली?
पुरानी गेंद ओवरकास्ट आकाश और नमी के कारण ज्यादा गति और झुकाव दे रही थी। कोच टीम ने फैसला किया कि पुरानी गेंद ही बेहतर है — और यही फैसला जीत का राज बना। यह टीम के रणनीतिक निर्णय का एक उदाहरण है।
इस जीत ने भारत के वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप के लिए क्या फायदा दिया?
इस जीत से भारत को 12 पॉइंट्स मिले, जबकि इंग्लैंड को शून्य। इससे भारत की टीम वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप में टॉप चार में शामिल होने की संभावना बढ़ गई है। यह जीत टीम के लिए भविष्य के मैचों के लिए मानसिक बल भी देती है।
अगली सीरीज में भारत की टीम का सामना क्या होगा?
भारत अब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज के लिए तैयार हो रहा है। इस जीत के बाद टीम का आत्मविश्वास बहुत ऊंचा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारत ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी ऐसी ही जीत दर्ज कर पाता है।
18 टिप्पणि
अरे भाई, ऑवल पर एशियाई टीम की पहली जीत? ये तो बस एक मैच नहीं, एक इतिहास का रिकॉर्ड बदल दिया गया! सिराज ने जो यॉर्कर मारा, वो न सिर्फ एटकिंसन को बोल्ड किया, बल्कि 140 साल के डर को भी बोल्ड कर दिया। अब तो इंग्लैंड वाले भी अपने घर पर भारत को देखकर पसीज रहे होंगे।
ये जीत बहुत अच्छी लगी। भारत की टीम ने सब कुछ साबित कर दिया। बिना नई गेंद के, बिना ज्यादा रन बनाए, बस टेक्निक और दिमाग से जीत ली। ये ही है असली क्रिकेट।
सिराज ने जो कैच छोड़ा था, उसके बाद सबने सोचा कि ये फिर वही पुरानी कहानी है - फिर भी उसने बदल दिया। अब तो वो भी नहीं बोलोगे कि भारतीय खिलाड़ी गलतियां कर देते हैं।
क्या कोई जानता है कि ये ऑवल का ट्रैक इतना धीमा क्यों था? ये तो लगता है जैसे इंग्लैंड ने खुद भारत के लिए रास्ता बना दिया हो।
मैं तो सिर्फ ये कहना चाहता हूं कि जब एक खिलाड़ी अपनी गलती को स्वीकार करता है और उसका बदला लेता है, तो वो असली हीरो होता है। सिराज ने न सिर्फ टीम को जीत दिलाई, बल्कि हर उस युवा लड़के को सिखाया कि गिरने के बाद उठना ही असली जीत है।
इंग्लैंड की टीम तो बस फील्डिंग में फेल हुई। सिराज की गेंदबाजी का कोई जवाब नहीं था। इतनी आसानी से हारना शर्म की बात है।
दोस्तों, मैं तो आज रात तक ये बात सोच रहा हूं कि एक आदमी कितना बदल सकता है। एक दिन वो एक गलती करता है, जिससे पूरी टीम डर जाती है, और अगले दिन वो उसी गलती के बदले में पूरी टीम को जीत दिला देता है। ये तो कोई खेल नहीं, ये तो जीवन का एक अध्याय है। भारत को इस तरह के खिलाड़ी मिले हैं - और ये बहुत बड़ी बात है।
पुरानी गेंद का जादू बहुत बड़ा था इस मैच में और इसके पीछे टीम का रणनीतिक निर्णय था जो अक्सर नजरअंदाज हो जाता है। जब आप बाहरी बातों पर नहीं चलते बल्कि अपने अंदर की ताकत पर भरोसा करते हैं तो असंभव संभव हो जाता है। सिराज और प्रसिद्ध ने यही दिखाया।
इस जीत के बाद भारत के वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप में अब टॉप चार में जगह बनाने की संभावना बहुत अच्छी है। यह जीत न केवल आत्मविश्वास बढ़ाती है, बल्कि टीम की रणनीति और टैक्टिक्स की समझ को भी साबित करती है।
जब एक टीम अपने इतिहास के खिलाफ लड़ती है, तो वो लड़ाई सिर्फ क्रिकेट की नहीं होती। ये लड़ाई है अंधविश्वास के खिलाफ, डर के खिलाफ, और उन लोगों के खिलाफ जो कहते थे कि एशियाई टीमें यहां नहीं जीत सकतीं। सिराज ने न सिर्फ एक बल्लेबाज को बोल्ड किया, बल्कि एक विचार को भी बोल्ड कर दिया।
ये सब बातें तो बहुत अच्छी हैं... पर क्या आप जानते हैं कि ये सब एक बड़े राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा है? ब्रिटिश सरकार ने ऑवल के ट्रैक को जानबूझकर इतना धीमा बनाया ताकि भारत को जीत दे सकें - और फिर दुनिया को दिखा सकें कि वो अब ‘सहयोगी’ हैं! और देखो, अब तो लोग भारत को बहुत बड़ा बना रहे हैं! ये सब एक बड़ा धोखा है!
पुरानी गेंद का उपयोग टीम के गेंदबाजी स्ट्रैटेजी का एक बहुत ही सूक्ष्म और जानबूझकर किया गया निर्णय था। इसकी तकनीकी व्याख्या में गेंद के स्पिन और सीम के बीच का बैलेंस बहुत महत्वपूर्ण था। इस निर्णय ने गेंदबाजों के लिए नए ऑप्शन्स खोल दिए।
क्रिस वूक्स के लिए ये मैच बहुत भावनात्मक था। उन्होंने अपने करियर के आखिरी दिन में भी टीम के लिए खेला। उनकी मेहनत और समर्पण की बात दिल को छू गई। उन्हें बहुत बधाई।
सिराज का वो यॉर्कर तो देखो ना 😍🔥 अब तो उसका नाम भारत के इतिहास में सोने के अक्षरों में लिख दिया गया! और अब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्या होगा? भाई, वो तो अब बस देखना है कि कौन रोएगा! 🤣🇮🇳
सिराज ने जीत दिलाई, लेकिन टीम का बाकी हिस्सा बस लगा रहा।
ये जीत न सिर्फ एक टीम की नहीं, बल्कि एक देश के दिल की थी। जब एक आदमी अपनी गलती को स्वीकार करता है और फिर उसे बदल देता है, तो वो असली लीडर बन जाता है। भारत को ऐसे खिलाड़ी मिले हैं - और ये बहुत बड़ी बात है।
अरे यार, ये सब बातें तो तुम लोग बहुत ज्यादा बना रहे हो। एक मैच जीत गए, अब क्या भारत दुनिया का नेता बन गया? अभी तो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलना बाकी है।
सिराज ने बोल्ड किया? नहीं यार, वो तो एटकिंसन के बैट को गलती से लग गया... और अब ये सब इतिहास बन गया? ये तो बस एक टाइमिंग का खेल था... अगर गेंद थोड़ी दाएं जाती तो आज नहीं बोलते!