महात्मा गांधी ने कुंभ मेला को जनसंपर्क का मंच बनाया, लेकिन वहां की गंदगी और अस्वच्छता से वे निराश हो गए। सफाई और स्वच्छता पर जोर देने वाले गांधी कुंभ मेला के हालात से असंतुष्ट थे। यह लेख गांधी के विचारों और उनके द्वारा झेली गई चुनौतियों को उजागर करता है, विशेष रूप से स्वच्छता को लेकर। यह उनके आदर्शों की समकालीन प्रासंगिकता को भी रेखांकित करता है।