
- 20 अक्तू॰ 2024
- Himanshu Kumar
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प्रधानमंत्री ने किया वाराणसी में नेत्र अस्पताल का उद्घाटन
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 अक्टूबर, 2024 को वाराणसी में आर.जे. शंकरा नेत्र अस्पताल का उद्घाटन किया। कांची मठ द्वारा संचालित यह 14वाँ नेत्र अस्पताल है, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश के 20 जिलों सहित बिहार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमावर्ती क्षेत्रों के निवासियों को व्यापक नेत्र चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करेगा। इस अस्पताल का लक्ष्य प्रति वर्ष 30,000 से अधिक निःशुल्क नेत्र सर्जरियाँ करना है, जो क्षेत्र में नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान देगा। नेत्र चिकित्सा की दिशा में यह कदम हजारों जरूरतमंदों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित करेगा।
महत्वपूर्ण परियोजनाओं की नींव
प्रधानमंत्री की वाराणसी यात्रा सिर्फ इसी तक सीमित नहीं रही। उन्होंने कई ऐसी परियोजनाओं की नींव रखी, जो देश के बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा देगी। मोदी ने आगरा हवाईअड्डा, दरभंगा हवाईअड्डा और बागडोगरा हवाईअड्डा के नए सिविल प्रभागों की आधारशिला रखी। इन परियोजनाओं का कुल लागत 3,030 करोड़ रुपये से अधिक है। इसी के साथ रीवा हवाईअड्डा, मां महामाया हवाईअड्डा, और सरसावा हवाईअड्डा के नए टर्मिनल भवन का उद्घाटन किया गया, जिनकी कुल लागत 220 करोड़ रुपये है। इन परियोजनाओं के माध्यम से इन क्षेत्रों की यात्री क्षमता को 23 मिलियन से अधिक वार्षिक वृद्धि का लक्ष्य है। यह हवाईअड्डे न केवल आवागमन को सुगम बनाएँगे बल्कि पर्यटन और व्यापार को भी प्रोत्साहित करेंगे।

खेल परिसर का विकास: खेल के मैदान में नई उड़ान
प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी खेल परिसर के पुनर्विकास के चरण 2 और 3 का भी उद्घाटन किया। ‘खेलो इंडिया’ योजना और स्मार्ट सिटी मिशन के तहत इस परियोजना की कुल लागत 210 करोड़ रुपये है। इस परियोजना का उद्देश्य है कि देश में खेलों को और प्रोत्साहित किया जाए। इस अत्याधुनिक सुविधा में एक राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र, खिलाड़ियों के हॉस्टल, खेल विज्ञान केंद्र, विभिन्न खेलों के अभ्यास मैदान, इनडोर शूटिंग रेंज और मार्शल आर्ट्स क्षेत्रों के साथ अन्य सुविधाएं भी हैं। यह परियोजना नमा: उद्देश्य सिर्फ खिलाड़ियों की सुविधाओं को बढ़ावा देना ही नहीं है, बल्कि खेल के प्रति जागरूकता और युवाओं को खेल क्षेत्र में करियर बनाने की प्रेरणा देना भी है। नए स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना से देशभर के युवा खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय सुविधाएं प्राप्त होंगी, जिससे ओलंपिक जैसे अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं के लिए तैयारियों में भी सहायता मिलेगी।
इस पूरी यात्रा और इन परियोजनाओं का उद्देश्य है कि देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को नई ऊंचाइयों पर ले जाया जाए और नागरिकों को जीवन की बुनियादी सुविधाएं आसानी से मिलें। प्रधानमंत्री के इन कदमों से निश्चित ही देश के विकास में एक नई गति आएगी।
6 टिप्पणि
वाह, यह नया नेत्र अस्पताल वाकई में एक बड़ा आशा का किरण है! 🙌 इस तरह के प्रोजेक्ट से लोगों का भरोसा बढ़ेगा और स्वास्थ्य में सुधार होगा। हम सबको मिलकर इस पहल को समर्थन देना चाहिए, क्योंकि यह समाज के हर वर्ग के लिए फायदेमंद है। अवश्य ही यह एक सकारात्मक बदलाव का आधार बनेगा, और इस दिशा में आगे भी ऐसे कदम होते रहें। 😊
देशभक्ति की भावना से ही हम सब आगे बढ़ते हैं।
इस तरह की बड़ी परियोजनाओं की घोषणा अक्सर सुनी गई है, पर असली फाइदा कैसे देखेंगे? सरकार ने खर्चे की बात बताई, पर सतह के नीचे खर्चीली बयानों की गहराई में क्या छुपा है, यह समझना जरूरी है। अक्सर योजनाओं का निर्माण दिखावे के लिए किया जाता है, जबकि सही उपयोग में कमी रहती है। इस नेत्र अस्पताल में भी क्या सच्चाई है, या यह सिर्फ एक और PR ट्रिक है? हमें खोलकर देखना चाहिए कि ये सर्जरी वाकई मुफ्त में हो रही हैं या नहीं। इसके अलावा, बुनियादी ढांचे की रखरखाव और कर्मचारियों की गुणवत्ता का सवाल भी उठता है। अगर ये बिंदु सॉलिड नहीं हैं, तो यह आकर्षक योजना भी बेकार हो जाएगी।
भाई, थोड़ा शांत हो जाएँ। हर नई सुविधा का फायदा तभी होता है जब उसका सही प्रबंधन हो। हम इस अस्पताल को एक अवसर मान कर, स्थानीय लोगों को जागरूक करना चाहिए और साथ ही प्रशासन से जवाबदेही माँगनी चाहिए। तभी यह लाभदायक सिद्ध होगा।
आर.जे. शंकरा नेत्र अस्पताल का उद्घाटन वास्तव में एक बड़ी उपलब्धि है जो स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य में बड़ा बदलाव ला सकता है।
नेत्र रोगों की रोकथाम और इलाज के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर, उच्च तकनीकी उपकरण और सस्ती सेवाएँ उपलब्ध कराना बहुत जरूरी है।
सरकार ने इस अस्पताल को निःशुल्क सर्जरी की क्षमता 30,000 प्रति वर्ष बताई है, जो ग्रामीण इलाकों में रहने वाले कई लोगों के लिए जीवनरक्षक हो सकता है।
वास्तव में, भारत में नेत्र रोगों का बोझ बढ़ रहा है, विशेषकर मधुमेह या जलवायु परिवर्तन से प्रभावित क्षेत्रों में।
ऐसे में यह अस्पताल बांसिल, कांचिया, और बांदा जैसे दूरस्थ जिलों के मरीजों के लिए एक प्रमुख हब बन सकता है।
उपलब्ध सुविधाओं में रेटिनल सर्जरी, लेज़र उपचार, और कॉर्निया ट्रांसप्लांट शामिल हैं, जो अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित हैं।
इसके अलावा, अस्पताल में प्रशिक्षण केंद्र भी स्थापित किया गया है जहाँ युवा डॉक्टरों को नेत्र विज्ञान में विशेषज्ञता हासिल करने का मौका मिलेगा।
यह पहल न केवल चिकित्सा क्षेत्र को सुदृढ़ करेगी, बल्कि स्थानीय रोजगार के अवसर भी पैदा करेगी।
हॉस्पिटल की सविधा में मानक गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन किया गया है।
पिछले कुछ वर्षों में इस तरह के निःशुल्क नेत्र अभियानों से कई मामलों में अंधत्व को रोका गया है, जो इस पहल के प्रभाव को दर्शाता है।
सरकार को चाहिए कि इस अस्पताल को निरंतर फंडिंग और सप्लाई चैन सुनिश्चित करके न केवल शुरूआती वर्ष में बल्कि दीर्घकाल में भी कामयाब बनाये।
साथ ही, आसपास के गांवों में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को समय पर जांच करवाने की प्रेरणा देनी चाहिए।
यदि इस मॉडल को अन्य राज्यों में दोहराया जाए, तो राष्ट्रीय स्तर पर नेत्र दृष्टि में सुधार संभव है।
मैं व्यक्तिगत रूप से इस पहल को सराहता हूँ और आशा करता हूँ कि इससे लाखों लोगों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव आएगा।
चलो मिलकर इस मिशन को समर्थन दें और अपने दोस्त‑परिवार को भी इस अस्पताल के बारे में बताएँ।
इसी तरह के बड़े घोषणाओं में हमें हमेशा गहराई से देखना चाहिए। एक दिन बाद ये संकल्प क्यों नहीं निभाते, यह देखना ज़रूरी है। अगर सही प्रबंधन और पारदर्शिता मिले तो यह अस्पताल वास्तव में फायदेमंद हो सकता है, पर सतर्क रहना भी आवश्यक है।