
- 21 अप्रैल 2025
- के द्वारा प्रकाशित किया गया Daksh Bhargava
- राजनीति
अब्दुल्ला आजम खान की रिहाई: समर्थकों में खुशी की लहर
रविवार, 25 फरवरी 2025 वो दिन था जब अब्दुल्ला आजम खान आखिरकार हारदौई जेल से बाहर आए। 17 महीने तक जेल में रहने के बाद, समाजवादी पार्टी के इस युवा नेता को जैसे ही जमानत मिली, उनके समर्थकों ने जोरदार स्वागत किया। पूर्व विधायक और रामपुर के सुार विधानसभा सीट से चुनाव जीत चुके अब्दुल्ला की रिहाई का इंतजार उनके परिवार वाले और तमाम सपा कार्यकर्ता महीनों से कर रहे थे।
जेल के बाहर तस्वीरें भी खूब वायरल हुईं, जहां अब्दुल्ला सफेद कुरता-पायजामा और काली सदरी पहने नजर आए। साथ में पार्टी की मौजूदा सांसद रुचि वीरा और अन्य नेताओं का भी जमावड़ा था। उनके चेहरे पर रिहाई की राहत साफ दिख रही थी।
रिहाई के पीछे की लंबी कानूनी जंग
असल में अब्दुल्ला के खिलाफ 45 से ज्यादा केस दर्ज हैं। इनमें सबसे ज्यादा चर्चा 2020 के 'एनेमी प्रॉपर्टी' मामले की रही जिसमें उन्हें लॉकअप का सामना करना पड़ा। इसी केस में एमपी-एमएलए कोर्ट से जमानत मिल गई, लेकिन कई बार फॉर्मेलिटी और वेरिफिकेशन जैसे मामलों में पेच फंसते रहे।
24 फरवरी की शाम को कोर्ट का फूल एंड फाइनल आदेश जेल प्रशासन के पास पहुंचा, जिसके बाद अब्दुल्ला की रिहाई संभव हो पाई। उनके वकील सतनाम सिंह नट्टू ने कहा कि ये लड़ाई आसान नहीं थी—उनका परिवार लगातार प्रशासनिक और कानूनी परेशानियों का सामना करता रहा। उनका कहना बिल्कुल साफ था, "पूरा देश जानता है कि खान परिवार किस तरह टारगेट हुआ है। आज अदालत के फैसले से इंसाफ की उम्मीद जगी है।"
हालांकि अब्दुल्ला की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं होतीं। उनके पिता आजम खान खुद भी पिछले काफी समय से जेल में हैं। परिवार का मानना है कि उन पर लगे केस राजनीतिक बदले के तहत लगाए गए हैं। लेकिन हर नई जमानत आदेश के साथ उनके समर्थकों की उम्मीदें फिर से जिंदा हो जाती हैं।
अब्दुल्ला की रिहाई के मौके पर पार्टी खेमे में जोश देखने लायक था। समर्थक नारे लगाते रहे—"सपा का सच्चा सिपाही बाहर आया है"। मोके पर मिठाइयाँ बाँटी गईं, और छोटे-छोटे जुलूस भी निकले। पुराने कार्यकर्ता साफ बोल रहे हैं कि अब्दुल्ला के बाहर आने से जिले में पार्टी को नई ऊर्जा मिलेगी।
अब देखना होगा कि कानूनी लड़ाइयों से जूझ रहे खान परिवार के ये दिन आगे और कितने लंबे होते हैं और क्या अब अदालतों के फैसलों से दूसरी और सुनवाईयों में भी राहत मिलती है या नहीं। फिलहाल, अब्दुल्ला की रिहाई ने प्रदेश की राजनीति में हलचल तो जरूर मचा दी है।
एक टिप्पणी करना