- 5 दिस॰ 2025
- Himanshu Kumar
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कोलकाता के एडेन गार्डन्स में खेले गए 132वें इंडियनऑयल डुरांड कप के समूह ए के मैच में पंजाब एफसी और बांग्लादेश सेना फुटबॉल टीम ने 0-0 की गोलहीन बराबरी के साथ अपना मैच समाप्त किया। यह मैच बांग्लादेश सेना के लिए ग्रुप स्टेज का तीसरा और आखिरी मैच था — जिसके बाद उनकी टूर्नामेंट यात्रा समाप्त हो गई। अगर आपको लगता है कि बराबरी का मतलब हार है, तो यहां कुछ और ही हुआ।
एक टीम का समापन, दूसरी की अपेक्षाएं
जबकि बांग्लादेश सेना फुटबॉल टीम ने अपनी डुरांड कप यात्रा को ‘सिर उठाकर’ समाप्त किया, जैसा कि The Daily Star ने रिपोर्ट किया, तो Daily Sun ने शुरू में यह दावा किया कि यह बराबरी उनकी क्वार्टरफाइनल की आशा को जीवित रखती है। लेकिन बाद के रिजल्ट्स ने साबित कर दिया कि यह आशा बस एक भ्रम थी। बांग्लादेश सेना के तीनों मैचों में एक भी गोल नहीं हुआ — और ग्रुप में उनका स्थान नीचे रहा।
दूसरी ओर, पंजाब एफसी — जो भारतीय सुपर लीग की एक टीम है — ने अपने खिलाड़ियों को लगातार अपने रास्ते पर चलने का संदेश दिया। एक भारतीय क्लब के रूप में, उन्होंने एक सैन्य टीम के खिलाफ अपनी बाहरी शक्ति दिखाने की कोशिश की, लेकिन अपने खुद के आक्रामक खेल के बावजूद गोल नहीं कर पाए। यह एक ऐसा पल था जहां टीमों ने अपनी असली ताकत को नहीं, बल्कि अपनी सीमाओं को दिखाया।
डुरांड कप: ऐतिहासिक विरासत और आधुनिक चुनौतियां
132वां इंडियनऑयल डुरांड कप एशिया का सबसे पुराना फुटबॉल टूर्नामेंट है — 1888 में शुरू हुआ, जब भारत अभी ब्रिटिश राज के अधीन था। इस टूर्नामेंट का मतलब सिर्फ जीत-हार नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक जुड़ाव है। इसके बावजूद, आज के दौर में इसकी बाहरी छवि धीरे-धीरे खो रही है। अब इसमें सैन्य टीमें, एसएल क्लब्स और अक्सर राज्य स्तरीय टीमें शामिल होती हैं।
बांग्लादेश सेना की भागीदारी इस टूर्नामेंट की वास्तविकता को दर्शाती है। यह एक ऐसी टीम है जो अपने देश के अंदर ही अपनी लीग में खेलती है — और यहां आकर एक आधुनिक भारतीय क्लब के सामने खड़ी होती है। उनके खिलाड़ी अक्सर अपनी सैन्य नौकरियों के बीच ट्रेनिंग करते हैं। उनके लिए डुरांड कप का मैच एक अवसर है — न कि बस एक टूर्नामेंट।
गोल क्यों नहीं बना? खेल का विश्लेषण
मैच में दोनों टीमों ने बहुत सावधानी से खेला। पंजाब एफसी ने अपने आक्रामक खिलाड़ियों को अक्सर अकेला छोड़ दिया, जबकि बांग्लादेश सेना ने बहुत सारी बैकफुटबॉल टैक्टिक्स अपनाईं। दोनों टीमों ने लगभग 15-17 शॉट्स लगाए, लेकिन कोई भी शॉट गोलपोस्ट के अंदर नहीं गया।
पंजाब एफसी के गोलकीपर ने दो बार बहुत अच्छी बचाव की — एक बार एक बाहरी शॉट को अपने दाएं हाथ से धकेल दिया, और दूसरी बार एक बिल्कुल फ्रीकिक फ्रीकिक शॉट को अपने बाएं पैर से रोक दिया। बांग्लादेश के लिए, उनके फॉरवर्ड ने एक बार गोल की दिशा में गेंद ले जाने का प्रयास किया, लेकिन उनका अंतिम पास अधिक भारी था।
कोचों की रणनीति भी बहुत स्पष्ट थी। पंजाब के कोच ने अपनी टीम को जल्दी गोल करने का दबाव दिया, जबकि बांग्लादेश के कोच ने बस यही चाहा कि उनकी टीम ने बिना गोल खाए बच जाए। और वही हुआ।
असर और भविष्य: एक टीम का अंत, दूसरी का अधूरा सफर
बांग्लादेश सेना के लिए यह डुरांड कप का अंत था — लेकिन यह उनके लिए एक सबक भी था। उन्होंने एक आधुनिक टीम के सामने अपनी जिद्द दिखाई। उन्होंने एक भारतीय आईएसएल टीम के खिलाफ अपनी रक्षा की जान लगाई। और यही उनके लिए जीत थी।
पंजाब एफसी के लिए, यह बराबरी उनके ग्रुप स्टेज के अंतिम मैच में एक बड़ी चुनौती थी। उन्होंने अपने ग्रुप में अपनी शुरुआत जीत से की थी, लेकिन अब उन्हें अगले चरण में जाने के लिए अपने बाकी मैचों का इंतजार करना था। अगर उन्होंने इस मैच में जीत नहीं दर्ज की, तो उनके क्वार्टरफाइनल के रास्ते पर एक बड़ा बाधा था।
क्या अब होगा?
डुरांड कप के ग्रुप स्टेज के बाद, टॉप चार टीमें क्वार्टरफाइनल में पहुंचीं। पंजाब एफसी ने अपने ग्रुप में दूसरा स्थान हासिल किया और क्वार्टरफाइनल में पहुंच गई। बांग्लादेश सेना के लिए, यह टूर्नामेंट का अंत था — लेकिन इसके बाद उनके लिए एक नया लक्ष्य बन गया: अगले साल फिर आना, और ज्यादा अच्छा खेलना।
इस टूर्नामेंट में भाग लेने वाली सैन्य टीमों के लिए, यह सिर्फ फुटबॉल नहीं है। यह एक ऐसा मंच है जहां वे अपनी देशभक्ति को गेंद के साथ जोड़ते हैं। बांग्लादेश सेना के खिलाड़ियों ने जो दिखाया, वह एक भारतीय टीम के खिलाफ भी एक अच्छा प्रदर्शन था।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्यों बांग्लादेश सेना फुटबॉल टीम डुरांड कप में खेलती है?
बांग्लादेश सेना फुटबॉल टीम अपने सैन्य अधिकारियों और सैनिकों से बनी है, जो अपनी सैन्य नौकरियों के बीच फुटबॉल खेलते हैं। डुरांड कप एक ऐसा टूर्नामेंट है जहां सैन्य टीमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल सकती हैं। यह उनके लिए अपनी क्षमता दिखाने और अन्य टीमों के साथ अनुभव साझा करने का एक अवसर है।
पंजाब एफसी का डुरांड कप में क्या प्रदर्शन रहा?
पंजाब एफसी ने ग्रुप स्टेज में दो मैच खेले — एक जीत और एक बराबरी के साथ। उन्होंने बांग्लादेश सेना के खिलाफ 0-0 की बराबरी की, लेकिन अपने ग्रुप में दूसरे स्थान पर रहे और क्वार्टरफाइनल में पहुंच गए। उनका खेल आक्रामक था, लेकिन गोल करने की कमी ने उन्हें अपनी पूरी क्षमता नहीं दिखाने दी।
डुरांड कप क्यों महत्वपूर्ण है?
डुरांड कप 1888 में शुरू हुआ और एशिया का सबसे पुराना फुटबॉल टूर्नामेंट है। यह भारतीय फुटबॉल के इतिहास का एक अहम हिस्सा है। यहां आईएसएल क्लब्स, सैन्य टीमें और राज्य स्तरीय टीमें एक साथ खेलती हैं, जिससे फुटबॉल के विकास के लिए एक अनूठा मंच बनता है।
क्या बांग्लादेश सेना फुटबॉल टीम अगले साल फिर आएगी?
हां, बांग्लादेश सेना के अधिकारियों ने अगले साल डुरांड कप में फिर भाग लेने की इच्छा जताई है। उनके लिए यह टूर्नामेंट एक प्रतिष्ठा का मुद्दा है। उन्होंने इस बार गोल नहीं किया, लेकिन उन्होंने अपनी टीम को एक आधुनिक लीग टीम के सामने बरकरार रखा — और यही उनकी जीत है।